उद्धव ठाकरे पर MVA छोड़ने का दबाव! पार्टी नेताओं का नगर निकाय चुनाव अलग लड़ने का आग्रह

हाल के चुनावों में, शिवसेना (यूबीटी) को सिर्फ 20 सीटें हासिल हुईं, जो छह महीने पहले के लोकसभा चुनावों की तुलना में भारी गिरावट है, जहां उसे 16.72 फीसदी वोट मिले थे।

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Uddhav Thackeray under pressure from party leaders to leave MVA alliance, urged to contest civic and local body elections independently

उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो- IANS)

मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद महा विकास अघाड़ी में आंतरिक तनाव की खबरे सामने आ रही है। उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना पर गठबंधन को छोड़ने के लिए दबाव देने का दावा किया जा रहा।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नवनिर्वाचित विधायकों और पदाधिकारियों ने पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे से नागरिक और स्थानीय निकाय चुनावों को स्वतंत्र रूप से लड़ने का आग्रह किया है।

नेताओं ने यह भी कहा है कि आने वाले चुनावों में पार्टी उन शहरों में, जहां पार्टी पहले से मजबूत है, बिना किसी गठबंधन के नगर निगम और स्थानीय चुनाव अकेले लड़ें।

बुधवार को महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा है कि कुछ नेताओं और पदाधिकारियों ने पार्टी के निर्माण पर विचार व्यक्त किया है और सभी स्थानीय निकाय चुनाव अकेले लड़ने की सलाह दी।

इससे पहले उद्धव ठाकरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अगले साल की शुरुआत में होने वाले बीएमसी चुनावों के लिए तैयारी करने को कहा। सूत्रों ने बताया कि पार्टी के गठबंधन छोड़कर अकेले चुनाव लड़ने के फैसले पर उद्धव ठाकरे जल्द ही फैसला ले सकते हैं।

शिवसेना (यूबीटी गुट) के पदाधिकारियों ने कहा कि पार्टी कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार) और समाजवादी पार्टी जो वर्तमान में एमवीए का हिस्सा हैं, के साथ गठबंधन करने के बजाय सभी 227 बीएमसी सीटों पर चुनाव लड़ सकती है और मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दे सकती है।

अंबादास दानवे ने आगे कहा, "लोकसभा चुनाव में हम साथ थे और सीटें जीती थीं। लेकिन राज्य विधानसभा चुनाव में नतीजे अलग थे। हमें इतनी करारी हार का सामना करने की उम्मीद नहीं थी। इसलिए पार्टी कार्यकर्ताओं में इस तरह की भावना है।"

शिवसेना (यूबीटी) ने एमवीए की 'प्रभावशीलता' पर उठाया सवाल

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार, सोमवार को हुए शिवसेना (यूबीटी) के एक बैठक में पार्टी के 20 विधायकों में से ज्यादातर ने गठबंधन छोड़ने पर जोर दिया। विधायकों ने एमवीए की 'प्रभावशीलता' पर भी सवाल उठाया है।

बैठक में कई विधायकों ने 57 सीटें हासिल करने वाली एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को लेकर भी चर्चा की है। पार्टी के जमीनी स्तर के कैडरों का तर्क है कि कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) के साथ पार्टी के गठबंधन ने इसकी मूल हिंदुत्व विचारधारा को कमजोर कर दिया।

इन चिंताओं के बावजूद, उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और वरिष्ठ नेता संजय राउत भाजपा के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता को पेश करने के लिए गठबंधन बनाए रखने के इच्छुक हैं।

शिवसेना (यूबीटी) को लेकर अंबादास दानवे ने क्या कहा है

हालांकि, अंबादास दानवे जैसे नेताओं का मानना ​​है कि पार्टी को अपने आधार से फिर से जुड़ना चाहिए और अपने पारंपरिक मराठी क्षेत्रवाद और हिंदुत्व मूल्यों को बरकरार रखना चाहिए।

हाल के चुनावों में, शिवसेना (यूबीटी) को सिर्फ 20 सीटें हासिल हुईं, जो छह महीने पहले के लोकसभा चुनावों की तुलना में भारी गिरावट है, जहां उसे 16.72 फीसदी वोट मिले थे। इस बार उसका वोट शेयर गिरकर 9.96 फीसदी रह गया और शिंदे सेना से लगभग तीन प्रतिशत पीछे रह गया।

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