मुंबईः महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ दिखाई दे सकता है। इसके संकेत शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने दिए हैं। उद्धव ठाकरे ने अपने चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे के साथ राजनैतिक गठजोड़ करने की इच्छा व्यक्त की है।
उद्धव का यह बयान उस वक्त आया है जब इसी साल भारत के सबसे बड़े नगर निकाय बृहन्मुंबई नगरपालिका के चुनाव होने हैं। भारतीय कामगार सेना की 57वीं वर्षगांठ पर संबोधन के दौरान महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा "मैं साथ आने को तैयार हूं। मैं महाराष्ट्र के हित में छोटी घटनाओं को किनारे रखकर आगे आने को तैयार हूं। मैंने सभी झगड़ों को खत्म कर दिया है। महाराष्ट्र का हित मेरी प्राथमिकता है।"
राज ठाकरे ने क्या कहा?
वहीं, इस संबंध में मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भी एक जैसे ही विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा है कि "साथ आना कठिन नहीं है।" इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चचेरे भाइयों के बीच मतभेद महाराष्ट्र और मराठी लोगों के लिए अस्तित्व के लिए महंगा साबित हो रहा है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, राज ठाकरे ने कहा "उद्धव और मेरे बीच लड़ाई और झगड़े छोटे हैं- महाराष्ट्र उससे बहुत बड़ा है। यह मतभेद महाराष्ट्र और इसके लोगों के लिए महंगे साबित हो रहे हैं।"
राज ठाकरे ने आगे कहा "साथ आना कठिन नहीं है, यह इच्छाशक्ति का मामला है। यह सिर्फ मेरी इच्छा या स्वार्थ के लिए नहीं है। हमें बड़ी तस्वीर देखने की जरूरत है। राजनैतिक दलों के सभी लोगों के लिए एकजुट होकर एक पार्टी बनानी चाहिए।"
इस दौरान राज ठाकरे ने स्वयं के शिवसेना से अलग होने के विषय पर कहा कि "मैंने शिवसेना तब छोड़ी थी जब सभी विधायक और सांसद मेरे साथ थे। तब भी मैंने अकेला रहना चुना क्योंकि मैं बाला साहेब के अलावा किसी के अंदर काम नहीं कर सकता। मुझे उद्धव के साथ काम करने में कोई आपत्ति नहीं थी। सवाल है कि - क्या दूसरा पक्ष मेरे साथ काम करने की इच्छा रखता है?"
उन्होंने आगे कहा "अगर महाराष्ट्र चाहता है कि हम साथ आएं, तो महाराष्ट्र को अपनी बात कहने दीजिए। मैं अपने अहंकार को ऐसे मामले में आड़े नहीं आने देता।"
महाविकास अघाड़ी को मिली करारी हार
बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने के लिए बने गठबंधन महाविकास अघाड़ी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। अब यह गठबंधन अस्तित्व के खतरे के दौर से गुजर रहा है।
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे दोनों ही महाराष्ट्र की राजनीति के अहम पहलू हैं। दोनों ही बाला साहेब ठाकरे की विरासत के साथ जटिल इतिहास साझा करते हैं। बाला साहेब ठाकरे ने ही शिवसेना बनाई थी और राज ठाकरे उनके उत्तराधिकारी के तौर पर देखे जा रहे थे। हालांकि, बाद में उनके बेटे उद्धव ने उनकी विरासत संभाली और राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया। तभी से दोनों राजनैतिक रूप से अलग-अलग रह रहे हैं। हालांकि कई बार दोनों की साथ आने की खबरें आईं लेकिन यह वास्तविकता में नहीं बदल पाईं।
इस बीच जब दोनों ही नेता अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, ऐसे में साथ आने की संभावना बढ़ती दिखाई दे रही हैं। दोनों नेता भी इस बात का संकेत दे रहे हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीएमसी चुनाव में दोनों नेता साथ चुनाव लड़ेगें या फिर नहीं।