नई दिल्लीः देश में सड़क दुर्घटनाओं में हो रही बढ़ती मौतों और गंभीर चोटों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने मोटर वाहन नियमों में बड़ा बदलाव प्रस्तावित किया है। नए मसौदे के तहत अब हर दोपहिया वाहन की खरीद पर वाहन निर्माता को दो सुरक्षात्मक हेलमेट देना अनिवार्य होगा।
इसके साथ ही मंत्रालय ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि जनवरी 2026 से 50cc से अधिक इंजन क्षमता या 50 किमी/घंटा से अधिक रफ्तार वाले सभी नए एल2 श्रेणी के दोपहिया वाहनों में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (एबीएस) लगाना भी जरूरी होगा।
तीन महीने के भीतर लागू होंगे नए हेलमेट नियम
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 23 जून, 2025 को एक अधिसूचना जारी कर कहा कि 'केंद्रीय मोटर वाहन (संशोधन) नियम, 2025' के अंतिम अधिसूचना के प्रकाशन के तीन महीने बाद यह नियम अनिवार्य रूप से लागू हो जाएगा।
अधिसूचना में कहा गया है, "दोपहिया वाहन की खरीद के समय, वाहन निर्माता को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुरूप दो सुरक्षात्मक हेलमेट उपलब्ध कराने होंगे।"
हालांकि, मोटर वाहन अधिनियम की धारा 129 के अंतर्गत जो व्यक्ति हेलमेट पहनने से विभिन्न कारणों से छूट प्राप्त हैं, उनके लिए यह नियम लागू नहीं होगा।
2026 से ABS सिस्टम भी होगा अनिवार्य, जानें इस तकनीक के बारे में
सरकार ने एक अन्य सुरक्षा उपाय के तहत, 1 जनवरी 2026 से सभी नए एल2 श्रेणी के दोपहिया वाहनों (जैसे मोटरसाइकिल और स्कूटर, जिनकी क्षमता 50cc से अधिक या अधिकतम गति 50 किमी/घंटा से ज्यादा है) में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा है। यह सिस्टम भारतीय मानक IS14664:2010 के अनुरूप होना चाहिए।
एबीएस (एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम) एक महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रणाली है जो दोपहिया वाहनों को अचानक ब्रेक लगाने पर पहियों को लॉक होने से रोकती है। इसका मुख्य काम यह सुनिश्चित करना है कि तेज ब्रेक लगाने पर भी पहिए फिसलें नहीं और वाहन का संतुलन बना रहे, जो आज की तेज रफ्तार जिंदगी में बेहद जरूरी है। अक्सर ऐसा होता है कि आप बाइक चला रहे हैं और अचानक सामने कोई बाधा आ जाती है। ऐसे में लोग तेजी से ब्रेक लगाते हैं। अगर पहिए लॉक हो जाएं (यानी घूमना बंद कर दें), तो बाइक फिसल सकती है और दुर्घटना हो सकती है। ABS इसी स्थिति से बचाता है।
कैसे काम करता है ABS?
एबीएस में खास सेंसर और एक इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट (ECU) होते हैं जो लगातार पहियों की गति पर नजर रखते हैं। जैसे ही आप ब्रेक लगाते हैं, सेंसर पहियों की गति मापते हैं। यदि कोई पहिया अचानक लॉक होने लगता है, तो ABS पल भर के लिए उस पहिए पर ब्रेक का दबाव कम कर देता है। जैसे ही बाइक का संतुलन बनता है, यह सिस्टम तुरंत फिर से ब्रेक लगाता है। यह प्रक्रिया हर सेकंड में कई बार दोहराई जाती है, जिससे पहिए फिसलते नहीं और चालक का बाइक पर नियंत्रण बना रहता है, चाहे ब्रेक कितनी भी तेजी से लगाए गए हों।
एबीएस मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: सिंगल चैनल एबीएस, जो सिर्फ अगले पहिए पर काम करता है, और डुअल चैनल एबीएस, जो आगे और पीछे दोनों पहियों पर काम करता है और इसे अधिक सुरक्षित माना जाता है।
ABS को लेकर वर्तमान नियम और नए प्रस्ताव का महत्व
अभी तक, एबीएस केवल 125 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाले दोपहिया वाहनों में ही अनिवार्य है। इसका मतलब है कि देश में बिकने वाली लगभग 45% बाइक्स में यह सुरक्षा फीचर नहीं होता, क्योंकि हीरो स्प्लेंडर, होंडा शाइन, टीवीएस स्पोर्ट और बजाज प्लैटिना जैसी कम्यूटर बाइक्स (जो 125 सीसी से कम होती हैं) की बिक्री बहुत ज्यादा है।
नए नियम के लागू होने के बाद, यह सुरक्षा फीचर सभी नई बाइक और मोटरसाइकिलों में मिलेगा। चूंकि अधिकांश वाहन 70 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से चल सकते हैं, इसलिए यह फीचर दुर्घटनाओं को कम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और लाखों जानें बचाने में मददगार साबित होगा।
सुझाव के लिए 30 दिन की समय सीमा
मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर जनता और हितधारकों से सुझाव भी मांगे हैं। अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से 30 दिनों के भीतर कोई भी व्यक्ति अपने सुझाव या आपत्तियां ईमेल [email protected] के माध्यम से मंत्रालय को भेज सकता है।
सड़क परिवहन मंत्रालय का मानना है कि यह बदलाव भारत में सड़क सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में एक ठोस कदम है। मंत्रालय का लक्ष्य है कि हेलमेट वितरण और एबीएस अनिवार्यता जैसे कदमों के माध्यम से दोपहिया दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों और गंभीर चोटों में कमी लाई जाए।