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चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों के करीब एक साल से चले आ रहे धरना-प्रदर्शन के खिलाफ बुधवार शाम कार्रवाई की और इलाके को खाली करा लिया। यह ऐसे समय में हुआ है जब इस बात के संकेत मिल रहे थे कि इस आंदोलन के जनता का समर्थन कम होता जा रहा है।
पंजाब में उद्योग संगठनों ने पहले भी अपील की थी कि रास्ता बंद होने से उनके कामकाज पर असर पड़ रहा है। साथ ही ऐसे हालात से बाहरी निवेश के लिए भी चुनौतियां पेश आ रही थी। हालांकि इन सबके बीच आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के द्वारा तत्काल कार्रवाई के पीछे लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट के लिए होने वाला उपचुनाव माना जा रहा है।
यह जगह एक तरह से पंजाब का उद्योग केंद्र माना जाता है। आप ने पहले ही उद्योगपति से राजनेता बने संजीव अरोड़ा को इस सीट के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। संजीव अरोड़ वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं।
दिल्ली की हार ने 'आप' को डराया?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार और विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया झेलने के बाद 'आप' के लिए चुनावी जीत फिलहाल बेहद अहम बन गई है। सूत्रों के अनुसार पार्टी के प्रचार अभियान के तहत हाल ही में लुधियाना आए 'आप' सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को लुधियाना के बड़े उद्योग केंद्र से यह फीडबैक मिला कि किसानों की नाकेबंदी की वजह से उनमें नाराजगी है और पार्टी को ऐसे में इन व्यापारियों का वोट नहीं मिलेगा।
सूत्रों के अनुसार किसानों को हटाने के लिए पंजाब सरकार एक मौके की तलाश कर रही थी और यह मौका उन्हें बुधवार को मिला। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि बुधवार का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि किसान नेता केंद्र के साथ बातचीत के लिए प्रदर्शन स्थलों से दूर होंगे। उनकी मौजूदगी में धरना स्थल पर कार्रवाई से समस्या बढ़ सकती थी।
बातचीत बेनतीजा रहने के बाद हुई कार्रवाई
बहरहाल, किसान नेता बुधवार को केंद्र से बातचीत के लिए चंडीगढ़ गए थे। यह बेनतीजा रही। तय हुआ कि अगले दौर की बातचीत 4 मई को होगी। किसान नेता धरना स्थल की ओर लौटने लगे थे। इसी दौरान जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर सहित कई किसान नेताओं के चंडीगढ़ से पंजाब में प्रवेश करते ही हिरासत में ले लिया गया। शीर्ष नेताओं को हिरासत में लिए जाने के बाद पुलिस के लिए प्रदर्शन स्थलों पर जाकर किसानों को हटाना आसान हो गया।
पंजाब सरकार की कार्रवाई का बचाव करते हुए राज्य के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि राजमार्ग किसी राज्य की जीवनरेखा हैं। उन्होंने कहा, 'हम निवेश खो रहे हैं। हम किसानों से कह रहे थे कि उनकी लड़ाई केंद्र से है, लेकिन हम फिर भी उनका समर्थन कर रहे हैं। यही वजह है कि मैं आज केंद्रीय मंत्रियों और अपने दो कैबिनेट सहयोगियों के साथ बैठक में था।'
चीमा ने कहा कि उन्होंने किसानों से यह भी कहा कि पंजाब के ड्रग संकट से युवाओं को नौकरी देकर ही लड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा, 'रोजगार तभी दिया जा सकता है जब राज्य में निवेश हो। इस तरह के धरने सभी के हितों को नुकसान पहुंचाते हैं।'
किसानों और भगवंत मान सरकार में तनातनी
पिछले महीने पंजाब विधानसभा में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत मंत्री और आप के प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने किसानों से रास्ते को खोलने की अपील की थी। उन्होंने कहा था, 'मैं किसानों से नाकाबंदी खत्म करने की अपील करता हूं। व्यापारियों और उद्योगपतियों को नुकसान हो रहा है और निवेशक दूर जा रहे हैं।'
उसी दिन पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जालंधर के उद्योगपतियों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी, जिन्होंने उनसे रास्तों को खुलवाने अपील की। इससे करीब दो हफ्ते पहले मान ने एसकेएम नेताओं के साथ बैठक की थी, लेकिन गुस्से में बीच में ही बाहर आ गए थे। यह साफ तौर पर किसान नेताओं और पंजाब सरकार के बीच बढ़ती तनातनी का संकेत था।
चंडीगढ़ में बुधवार को हुई बैठक में मौजूद किसान नेता जैसे धरना स्थल के लिए निकले और पंजाब की सीमा में पहुंचे, उन्हें हिरासत में ले लिया गया। इनमें किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेता सरवन सिंह पंढेर और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के अलावा 26 अन्य लोग शामिल थे। हिरासत में लिए गए लोगों में महिला किसान नेता सुखविंदर कौर भी शामिल थीं।
पंजाब सरकार के एक्शन पर केंद्रीय मंत्री का बयान
बहरहाल, मान सरकार पर निशाना साधते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार ने केवल केजरीवाल को खुश करने और केंद्र द्वारा मुद्दे के किसी भी समाधान को रोकने के लिए ऐसा काम किया है।
उन्होंने कहा कि 'आप को डर था कि केंद्र सरकार और किसानों के बीच मामला सुलझ सकता है। इसलिए पंजाब पुलिस ने किसान नेताओं को उस समय हिरासत में ले लिया जब वे केंद्रीय मंत्रियों के साथ बहुत सौहार्दपूर्ण बैठक के बाद लौट रहे थे।'
बिट्टू ने मान को नसीहत देते हुए कहा कि भले ही वह अरोड़ा की जीत सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हों ताकि अरविंद केजरीवाल के लिए राज्यसभा सीट सुनिश्चित हो जाए, लेकिन अंत में हार उन्हीं की होगी। बिट्टू ने कहा, 'मान पंजाब के किसान हैं। इन्हीं किसानों ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया है।'