वाराणसी: उत्तर प्रदेश के सबसे हॉट सीट कहे जाने वाले वाराणसी लोकसभा सीट पर एक जून को मतदान होगा। इस सीट से तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ने जा रहे हैं। उनके खिलाफ विपक्षी दल के छह उम्मीदवार मैदान में है।
इस बार सपा और कांग्रेस के गठबंधन के तहत कांग्रेस ने यहां से अपना उम्मीदवार उतारा है। इसके अलावा बसपा और कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं।
2024 लोकसभा चुनाव के नामांकन शुरू होने के बाद 41 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा था। पर्चा भरने वालों में 33 उम्मीदवारों का नामांकन खारिज हुआ था। बचे हुए आठ उम्मीदवारों में से एक ने खुद से अपना नाम वापस भी ले लिया था। अंत में जांच प्रक्रिया के पूरी होने के बाद पीएम मोदी के खिलाफ केवल छह ही उम्मीदवार मैदान में हैं।
कांग्रेस के हैं ये उम्मीदावर
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय एक मजबूत छवि वाला नेता हैं। वे इस बार इंडिया गठबंधन के तरफ कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने 2009 से लेकर 2019 तक इस सीट से हर लोकसभा चुनाव में हिस्सा लिया है और बड़े अंतर से हारे भी हैं।
अजय राय ने 2009 में सपा के टिकट और 2014 और 2019 में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा था। सभी चुनावों में वे तीसरे स्थान पर रहे हैं। वे चार बार विधायक भी रहें हैं। उनकी चुनावी हलफनामे के अनुसार, उनके पास 6.66 लाख रुपए की चल संपत्ति और 1.25 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति है। उनके खिलाफ कुल 18 मामले दर्ज हैं।
बसपा ने इन्हें दिया है टिकट
इस सीट से बसपा ने अतहर जमाल लारी को मैदान में उतारा है। उन्होंने अपना राजनीतिक करियर एक छात्र नेता के तौर पर शुरू किया था। वे साल 1977 में जनता पार्टी में शामिल हुए थे और 1984 में पार्टी के टिकट पर वाराणसी सीट से चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें हार मिला था।
लारी ने साल 1991 में जनता दल से वाराणसी कैंट राज्य विधानसभा सीट पर और साल 2004 में अपना दल से वाराणसी से लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा था। वे इन चुनावों में दूसरे और तीसरे स्थान पर थे।
साल 2012 में वे मुख्तार अंसारी के नेतृत्व वाले कौमी एकता दल के लिए वाराणसी (दक्षिण) विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ा था और यहां भी वे हार गए थे। ऐसे में साल 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान लारी ने सपा का समर्थन किया था और फिर जब चुनाव हो गया तो वे बसपा में शामिल हो गए थे।
इसके बाद पार्टी ने उन्हें 2024 लोकसभा चुनाव के लिए वाराणसी सीट से उम्मीदवार बनाया है। उनके हलफनामे के अनुसार, उनकी चल संपत्ति 6.52 लाख रुपए और अचल संपत्ति 1.8 करोड़ रुपए की है। उन पर एक मामला दर्ज है।
अपना दल (कमेरावादी) के ये हैं उम्मीदवार
विधायक पल्लवी पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल (कमेरावादी) ने वाराणसी लोकसभा सीट से गगन यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। गगन यादव इससे पहले सपा में थे जिन्होंने पार्टी को हाल में ही छोड़ा है और अपना दल में शामिल हो गए हैं।
सपा छोड़ते हुए उन्होंने यह आरोप लगाया था कि पार्टी में दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यक समुदायों को प्रतिनिधित्व की कमी है। गगन यादव के हलफनामें के अनुसार, उनकी चल संपत्ति 19.16 लाख रुपए और अचल संपत्ति 66 लाख रुपए की है। उनके खिलाफ पांच मामले दर्ज हैं।
युग तुलसी पार्टी से इन्हें मिला है टिकट
इस सीट से युग तुलसी पार्टी ने कोलिसेट्टी शिव कुमार को टिकट दिया है। हैदराबाद के रहने वाले शिव कुमार तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के पूर्व बोर्ड सदस्य हैं। कुमार जीवन भर गायों के लिए काम किया है और वे केंद्र सरकार से इसे राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की है।
उनका आरोप है कि उन्हें नामांकन वापस लेने के लिए बहुत दबाव दिया गया था। उनका यह भी आरोप है कि उन पर झूठे मामले भी दर्ज किए गए हैं और गिरफ्तारी के डर से वे सही से चुनाव प्रचार भी नहीं कर पाए हैं।
कुमार के चुनावी हलफनामे के अनुसार, उनकी चल संपत्ति 36.19 लाख रुपए और अचल संपत्ति 2.02 करोड़ रुपए की है। उन पर एक भी मामला दर्ज नहीं है।
निर्दलीय से हैं दो उम्मीदवार हैं मैदान में
वाराणसी लोकसभा सीट से इस बार दो निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। 39 साल के दिनेश कुमार यादव पिछले 15 सालों से राजनीति में सक्रिय हैं। वे वाराणसी के सिकरौल से तीन बार के पार्षद हैं। उनके हलफनामे के अनुसार, उनकी चल संपत्ति 16.40 लाख रुपए और अचल संपत्ति 10 लाख रुपए है। इनके खिलाफ एक भी मामला दर्ज नहीं है।
दिल्ली निवासी संजय कुमार जो एक सोशल वर्कर भी हैं, वे भी पीएम मोदी के खिलाफ इस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। चुनावी हलफनामे के अनुसार, उनकी चल संपत्ति 11.46 लाख रुपए और अचल संपत्ति 29 लाख रुपए हैं। इन पर भी एक भी मामला दर्ज नहीं है।
कॉमेडियन श्याम रंगीला के नामांकन का क्या हुआ था
इस सीट से कॉमेडियन श्याम रंगीला ने भी अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था लेकिन चुनाव अयोग ने उनका पर्चा खारिज कर दिया था। अयोग के अनुसार, रंगीला ने शपथ नहीं ली थी इस कारण उनका नामांकन पत्र खारिज हो गया था।
नामांकन पत्र खारिज होने पर रंगीला ने सोशल मीडिया पर कई पोस्ट भी किए थे और आरोप भी लगाए थे। पीएम मोदी की मिमिक्री करने वाले रंगीला ने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया था।
वाराणसी लोकसभा सीट के बारे में
यह सीट से भाजपा को कई बार जीत हासिल हुई है। केवल 2004 को छोड़कर साल 1991 से भाजपा ने इस सीट को सात बार जीता है। साल 2004 में कांग्रेस का उम्मीदवार यहां जीता था। बता दें कि वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिसमें ब्राह्मण, भूमिहार और जयसवाल जातियों की संख्या काफी ज्यादा है।