मुंबईः मुंबई पुलिस को टोरेस पोंजी स्कैम मामले में बड़ी सफलता मिली है। इस सिलसिले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने करोड़ों रुपये के टोरेस पोंजी घोटाले के आरोपी तौसिफ रियाज को रविवार को गिरफ्तार कर लिया। घोटाला सामने आने के बाद वह कई हफ्तों से फरार चल रहा था। आखिरकार मुंबई पुलिस ने उसे लोनावला से गिरफ्तार किया है।
वह प्लैटिनम हर्न नाम की कंपनी का सीईओ था जिसके अंतर्गत उसने टोरेस ज्वैलरी ब्रांड खोल रखे थे। इस ब्रांड के आउटलेट मुंबई, नवी मुंबई, कल्याण क्षेत्र में खोल रखे थे जिसमें निवेश योजना के माध्यम से निवेशकों से धोखाधड़ी की गई थी।
रियाज से पहले इस मामले में चार और लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। गिरफ्तार किए जाने के बाद उसे मुंबई कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने उसे तीन फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया।
सैकड़ों निवेशकों के साथ हुई धोखाधड़ी
इस निवेश योजना के माध्यम से करीब 3700 निवेशकों को भारी मात्रा में नुकसान झेलना पड़ा है। यह घोटाला बीते साल दिसंबर 2024 में उस वक्त सामने आया जब मुंबई के दादर में टोरेस वास्तु सेंटर में सैकड़ों निवेशक जुटे थे।
इन लोगों को वादे के मुताबिक भुगतान न कर इसे बंद कर दिया गया था। इस योजना के तहत जिन लोगों को सोना, चांदी, मोइसानाइट के आभूषणों में निवेश करने के लिए कहा गया था। उन लोगों को इसके बदले कार, फ्लैट और गिफ्ट हैंपर्स के साथ-साथ हाई रिटर्न देने का भी वादा किया गया था।
हालांकि जब कंपनी अपने वादों को पूरा नहीं कर सकी तो इसका व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ। उसके बाद इस मामले की जांच कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा की गई।
इस बीच रियाज ने दावा किया था कि उसने ही टोरेस पोंजी निवेश के बारे में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सूचना दी थी। इन दावों के बावजूद वह बीते कई हफ्तों से पुलिस से भाग रहा था। अधिकारियों ने उसकी गिरफ्तारी के लिए उसके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया था। ऐसा कहा जा रहा है कि लोनावला में गिरफ्तारी से पहले कथित तौर पर उसने पटना से मुंबई की यात्रा की थी।
21 करोड़ की राशि की है जब्त
ईडी ने टोरेस पोंजी मामले में चल रही जांच के तहत शुक्रवार को बैंक में जमा 21 करोड़ की राशि जब्त कर ली थी। इससे पहले ईडी ने टोरेस ज्वैलरी के प्रमोटरों की संपत्तियों पर भी छापेमारी की थी।
ये छापेमारी 23 जनवरी को मुंबई और जयपुर के 10 स्थानों पर की गई थी। मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने कहा है कि पोंजी योजना में वित्तीय हेरफेर और मनी लान्ड्रिंग का एक गहरा नेटवर्क शामिल है।
क्या है टोरेस पोंजी घोटाला?
इस घोटाले के तहत अब तक करीब 57 करोड़ का घाटा हुआ है। इसमें धोखाधड़ी कर लोगों को निवेश के लिए उकसाया गया था। पुलिस के मुताबिक, ज्वैलरी ब्रांड ने लोगों से निवेश को आकर्षित करने के लिए मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनाई थी।
इसके साथ-साथ भ्रामक विज्ञापन का भी इस्तेमाल किया गया था। कंपनी के प्रमोटर्स ने लोगों से भारी रिटर्न का वादा किया था लेकिन जब वे वादे के अनुसार रिटर्न नहीं दे सके तो इसमें शामिल लोगों को बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ा।
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि कंपनी और उससे जुड़े प्रमोटर्स ने सोने, चांदी, हीरे के आभूषण और रत्नों में निवेश करने पर दो से नौ प्रतिशत रिटर्न देने का ‘प्रलोभन’ दिया था।
ईडी ने कहा कि योजना में नए निवेशकों की लाने के लिए कंपनी ने बोनस की व्यवस्था की थी। इसके अलावा इस जाल में अधिक से अधिक लोगों को फंसाने के लिए रेफरल सिस्टम भी बनाया था। एजेंसी के अनुसार, कंपनी ने हीरे के बराबर उच्च मूल्य वाले निवेश के रूप में सिंथेटिक मोइसानाइट पत्थरों की मार्केटिंग की है।
इन पत्थरों को बढ़ी हुई कीमतों पर बेचा गया और निवेशकों को गुमराह किया गया। ईडी के अनुसार, कंपनी ने ग्राहकों को कार और मोबाइल जैसे लक्जरी पुरस्कारों के माध्यम से लुभाने के लिए सेमिनार आयोजित कराए। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी इसका प्रचार किया। कंपनी ने बिना लाइसेंस के लकी ड्रा का भी आयोजन कराया।
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी अधिकारी संदिग्धों का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मामले को देखते हुए आने वाले कुछ दिनों में कुछ और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।