आजाद भारत का 'मानक समय' आज के दिन ही हुआ था शुरू, जानें क्यों उठ रही है एक से अधिक टाइम जोन की मांग?

दुनिया के अलग-अलग देशों में विभिन्न टाइम जोन हैं। फ्रांस में जहां 13 टाइम जोन है वहीं रूस और अमेरिका में 11-11 टाइम जोन का पालन होता है।

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The Standard Time independent India started on 1st september know why demand is rising for more than one time zone here

आजाद भारत का 'मानक समय' शुरू हुआ था आज (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: आजादी के 16 दिन बाद यानि एक सितंबर 1947 को देश का समय एक हो गया था। उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम हम समय के एक सूत्र में बंध गए थे। इसी दिन भारत को अपना मानक समय मिल गया था।

विविधता पूर्ण देश की भारतीय मानक समय की परिकल्पना भी अद्भुत थी। इसका क्रेडिट भी काफी हद तक भारत के लौह पुरुष यानि वल्लभ भाई पटेल को जाता है।

भारत जैसे देश में केवल एक ही टाइम जोन है। दुनिया के कई देशों में एक से अधिक टाइम जोन का पालन होता है। यहां पर भी दो टाइम जोन की मांग बहुत पहले से उठ रही है। लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है।

हालांकि 1951 का बागान श्रम अधिनियम यह छूट देता है कि कुछ खास औद्योगिक क्षेत्रों के लिए स्थानीय समय को सेट किया जा सकता है। लेकिन पूरे भारत में अभी भी एक ही टाइम जोन चलता है।

कैसे शुरू हुआ था टाइम जोन

दुनिया के अलग-अलग देशों में एक टाइम जोन होने का पहला सूझाव सन 1879 में स्कॉटिश-कनाडाई इंजीनियर सर सैंडफोर्ड फ्लेमिंग ने प्रस्तावित किया था। इस सूझाव पर अमल करते हुए सन 1884 में अंतर्राष्ट्रीय मेरिडियन सम्मेलन के दौरान 24 घंटे के एक दिन को मान लिया गया था।

सूर्य के चारो और धरती के चक्कर लगाने के कारण दुनिया के विभिन्न देशों में अलग-अलग समय का अनुभव होता है। धरती को अपनी धुरी पर 15° घूमने से समय बदलता है और एक घंटे तक बढ़ जाता है। इससे पूरी दुनिया में कुल 24 टाइम जोन बन जाते हैं जो हर एक घंट में बदलते रहता है।

भारत में कैसे होता है समय

भारतीय मानक समय (IST) 82.5° देशांतर पर आधारित है जो उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के नजदीक मिर्ज़ापुर से होकर गुजरता है। यह टाइम जोन ग्रीनविच मीन टाइम (जीएमटी) से पांच घंटे 30 मिनट आगे है, जिसे अब यूनिवर्सल कोऑर्डिनेटेड टाइम (यूटीसी) के रूप में जाना जाता है।

बता दें कि नई दिल्ली के सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला में भारत के आधिकारिक समय को नोट किया जाता है।

बॉम्बे और कलकत्ता का था अपना टाइम जोन

इंडियन स्टैंडर्ड टाइम को दुनिया के कॉर्डिनेटेड समय (यानी यूटीसी) से साढ़े पांच घंटे आगे वाला टाइम जोन माना गया। इससे पहले समस्या तो थी और वो भी गंभीर! आखिर विविधता पूर्ण देश को कैसे एक समय में बांध दिया जाए। समय और भारतीय स्टैंडर्ड टाइम को लेकर बहस हुईं क्योंकि बॉम्बे और कलकत्ता (कोलकाता) का अपना टाइम जोन था।

अंग्रेजों ने 1884 में इस टाइम जोन को तब तय किया था जब अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टाइम जोन तय किए जाने की बैठक हुई थी। ग्रीनविच मीनटाइम यानी जीएमटी से चार घंटे 51 मिनट आगे का टाइम जोन था बॉम्बे टाइम।

सन 1906 में जब आईएसटी का प्रस्ताव ब्रिटिश राज में आया, तब बॉम्बे टाइम की व्यवस्था बचाने के लिए फिरोजशाह मेहता ने पुरजोर वकालत की और बॉम्बे टाइम बच गया!

दूसरा था कलकत्ता टाइम जोन। साल 1884 वाली बैठक में ही भारत में दूसरा टाइम जोन था कलकत्ता टाइम। जीएमटी से पांच घंटे 30 मिनट 21 सेकंड आगे के टाइम जोन को कलकत्ता टाइम माना गया।

साल 1906 में आईएसटी प्रस्ताव नाकाम रहा, तो कलकत्ता टाइम भी चलता रहा। 1906 में सेट किए गए टाइम जोन को आज भी फॉलो किया जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान मद्रास टाइम जोन को भी इस्तेमाल किया जाता था।

देबाशीष दास ने क्या कहा है

देबाशीष दास ने अपने एक लेख में इसकी ऐतिहासिकता को लेकर कई किस्से शेयर किए। भारतीय मानक समय का परिचय: एक ऐतिहासिक सर्वेक्षण में उन्होंने इसका जिक्र किया है। लिखा है- जुलाई 1947 में, स्वतंत्रता से ठीक पहले, सरदार वल्लभभाई पटेल से बंगाल के समय को समाप्त करने का अनुरोध किया गया था।

इस अनुरोध में कहा गया था- जब पूरे भारत में, विशेष रूप से बंगाल में, एक बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक मामले को संबंधित अधिकारियों द्वारा अनदेखा किया जा रहा है, यानि बंगाल का समय जो भारतीय मानक समय से एक घंटा आगे है और केवल बंगाल में ही इसका पालन किया जाता है जो नागरिकों के हितों के लिए हानिकारक है... हम बंगाली समय के एक रूप यानी भारतीय मानक समय का पालन करना चाहते हैं जिसका पालन अन्य सभी प्रांतों में किया जाता है।"

बंबई के संबंध में भी ऐसा ही अनुरोध किया गया था।

पहले कलकत्ता तैयार हुआ था फिर बॉम्बे

ऐसे में उस समय गृह विभाग ने सुझाव दिया था कि इस मामले पर संबंधित राज्य सरकार विचार करें। अंततः दोनों शहर सहमत हो गए, कलकत्ता ने लगभग तुरंत और बॉम्बे ने ढाई साल बाद इसे स्वीकार कर लिया। कलकत्ता और पश्चिम बंगाल प्रांत ने 31 अगस्त एक सितंबर 1947 की मध्यरात्रि को IST को अपना लिया था।

भारत में दो टाइम जोन की मांग

भारत के अपने विशाल भौगोलिक आकार के कारण दो टाइम जोन की मांग उठती रही है। भूमि क्षेत्रफल के हिसाब से चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत लगभग 30 डिग्री देशांतर तक फैला है जो इस बात के लिए काफी है कि यहां पर एक से अधिक टाइम जोन होना चाहिए।

भारत के अन्य इलाकों के मुकाबले पूर्वोत्तर भारत (एनईआर) और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (एएनआई) में जल्दी सूर्योदय और सूर्यास्त होता है।

पूर्वोत्तर में गर्मियों में सूरज सुबह चार बजे निकल जाता है और यहां पर सरकारी काम सुबह के 10 से शुरू होता है। ऐसे में यहां के लोगों की मांग है कि उन्हें एक दूसरे टाइम जोन को पालन की करने की इजाजत दी जाए ताकि वे दिन को सही से इस्तेमाल कर पाए।

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असम की सरकार ने की थी मांग

इससे पहले असम सरकार ने पूर्वी क्षेत्र के लिए एक अलग टाइम जोन का अनुरोध किया था। हालांकि इस मुद्दे पर मार्च 2020 तक कोई भी फैसला नहीं लिया गया है। साल 1951 का बागान श्रम अधिनियम केंद्र और राज्य सरकारों को यह इजाजत देता है कि कुछ खास औद्योगिक क्षेत्रों के लिए स्थानीय समय निर्धारित किया जा सकता है।

इस अधिनियम के तहत असम के चाय जिलों में अलग टाइम जोन का पालन होता है। यह टाइम जोन भारतीय मानक समय (IST) से एक घंटा आगे है।

कौन कौन देश में है कितने टाइम जोन

दुनिया के अलग-अलग देशों में विभिन्न टाइम जोन हैं। फ्रांस में जहां 13 टाइम जोन है वहीं रूस और अमेरिका में 11-11 टाइम जोन का पालन होता है। ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन नौ, कनाडा में छह, न्यूजीलैंड और डेनमार्क में पांच-पांच और ब्राजील में 10 टाइम जोन है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ

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