पहलगाम आतंकी हमले के बाद आतंकियों के जम्मू-कश्मीर में ही छिपे होने के मिल रहे संकेत

एनआईए के सूत्रों के मुताबिक, पहलगाम हमले के बाद आतंकियों के कश्मीर में ही छिपे होने की आशंका है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, आतंकी हमले के बाद दीवार फांदकर भाग गए थे।

Terrorists hidden in kashmir after pahalgam terror attack nia sources

आतंकियों के कश्मीर में छिपे होने की आशंका Photograph: (आईएएनएस)

श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले में 22 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद से खुफिया एजेंसियां हमले की जांच कर रही हैं और सेना तथा पुलिस आतंकियों की तलाश में जुटी हैं।

हालांकि अभी तक किसी भी आतंकी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। खुफिया एजेंसियों को इस बात के पूरे संकेत मिले हैं कि आतंकी दक्षिणी कश्मीर के इलाकों में छिपे हुए हैं और सक्रिय हैं। 

दक्षिण कश्मीर में छिपे हो सकते हैं आतंकी 

इंडिया टुडे ने एनआईए के सूत्रों के हवाले से दावा किया कि आतंकवादियों को ट्रैक कर रही खुफिया एजेंसियों की टीमें बारीकी से ट्रैक कर रही हैं और इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि क्षेत्र में और आतंकी छिपे हो सकते हैं।

उन्होंने आगे बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए हमले के दौरान इस बात का संदेह था कि अतिरिक्त आतंकवादी भी कुछ दूरी बनाए हुए हैं। ये संभवतः इसलिए तैनात थे कि सुरक्षाबलों द्वारा  त्वरित प्रतिक्रिया की स्थिति में कवर फायर प्रदान करने के लिए मौजूद थे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये आतंकी कथित तौर पर अत्यधिक आत्मनिर्भर हैं। इनके पास खाद्य आपूर्ति समेत अन्य जरूरी चीजें हैं। इस कारण से उन्हें बाहरी सहायता के बगैर वन क्षेत्र में लंबे समय तक काम करने के लिए सुविधा मिलती है।

हमले के बाद जांच एजेंसियों की टीमें जांच में जुटी हैं और उन्होंने पीड़ितों और हमले के समय मौजूद लोगों के बयान रिकॉर्ड किए जो यह खुलासा करते हैं कि हमला बहुत सटीकता के साथ किया गया था।

आतंकियों की क्या थी योजना?

बैसरन घाटी जो कि मिनी स्विटजरलैंड के नाम से भी जानी जाती है। इसके प्रवेश और निकासी द्वार पर हमलावरों ने रास्ता बंद कर दिया था और पर्यटक फंस गए थे।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हमले को चार आतंकियों ने अंजाम दिया। इसमें से दो ने मुख्य गेट से प्रवेश किया था, एक निकास द्वार पर तैनात था और चौथा आतंकी इनको बैकअप प्रदान करने के लिए आसपास के जंगल में छिपा था।

इसके बाद तीन आतंकियों ने पिकनिक मनाने आए लोगों पर फायरिंग शुरू कर दी। इन आतंकियों में दो आतंकी सेना की ड्रेस में थे तो वहीं तीसरे आतंकी ने कश्मीरी फेरन पहना था। पहली फायरिंग निकास द्वार के पास हुई और पर्यटकों में अफरा-तफरी मच गई। जब पर्यटक प्रवेश द्वार की तरफ भागने लगे तो वहां पहले से मौजूद दो लोगों ने हमला शुरू कर दिया।

प्रत्यक्षदर्शियों ने क्या बताया?

प्रत्यक्षदर्शियों की तरफ से जो बयान सामने आए हैं वह बेहद चौंकाने वाले हैं। इसमें लोगों ने बताया कि कथित तौर पर महिलाओं को पुरुषों से और हिंदुओं को मुसलमानों से अलग किया गया। जब भीड़ ने मना कर दिया तो हमलावरों ने उनसे कलमा पढ़वाया। इसके बाद उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। इनमें से पहला शिकार लेफ्टिनेंट विनय नरवाल बने जो प्रवेश द्वार से आए थे।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हमले को अंजाम देने के बाद आतंकी पार्क के बाईं ओर स्थित दीवार फांदकर भाग गए।

रिपोर्ट के मुताबिक, इन हमलावरों ने अल्ट्रा सुरक्षित डिवाइसेस का उपयोग किया था जिनमें सिम कार्ड की भी आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे में सुरक्षाकर्मियों के लिए यह चिंता का विषय है। यह तकनीक कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए वास्तविक समय में अवरोधन और ट्रैकिंग को और कठिन बना सकते हैं।

हालिया जांच में यह भी पता चला है कि आतंकवादियों ने हमले से पहले इलाके के अन्य स्थानों की भी रेकी की थी। संदिग्धों में से एक ने स्थानीय पार्क का सर्वेक्षण भी किया था लेकिन सुरक्षा के कारण उसे निशाना बनाने से छोड़ दिया था।

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