हैदराबाद: तेलंगाना हाईकोर्ट ने सोमवार को भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के पूर्व विधायक चेन्नामनेनी रमेश के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। अदालत ने पाया कि रमेश ने 15 वर्षों तक गलत दस्तावेजों के आधार पर अपनी जर्मन नागरिकता छिपाई और अदालत को गुमराह किया।
इस पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने उन पर 30 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। उन्हें यह राशि एक महीने के भीतर चुकाने का निर्देश दिया गया है।
अदालत ने रमेश को आदेश दिया कि वेमुलावाड़ा के वर्तमान कांग्रेस विधायक और याचिकाकर्ता आदि श्रीनिवास को 25 लाख रुपए और कानूनी सेवा प्राधिकरण को पांच लाख रुपए का भुगतान करें।
यह फैसला रमेश द्वारा केंद्र सरकार के साल 2019 के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनाया गया, जिसमें उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी गई थी।
चेन्नामनेनी रमेश वर्ष 1993 से जर्मन नागरिक थे
चेन्नामनेनी रमेश, जो चार बार विधायक रह चुके हैं, 1990 के दशक में रोजगार के लिए जर्मनी गए थे और 1993 में जर्मन नागरिकता प्राप्त की थी। 2008 में भारत लौटने पर उन्होंने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया, जो 2009 में उन्हें दी गई। उसी साल वे तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के टिकट पर वेमुलावाड़ा से विधायक चुने गए।
हालांकि कांग्रेस नेता श्रीनिवास ने 2009 में उनकी नागरिकता पर सवाल उठाया। श्रीनिवास ने आरोप लगाया कि रमेश ने नागरिकता अधिनियम का उल्लंघन करते हुए अपनी जर्मन नागरिकता छिपाई और धोखाधड़ी से भारतीय नागरिकता प्राप्त की। साल 2019 में गृह मंत्रालय ने रमेश की नागरिकता रद्द कर दी।
साल 2023 में बीआरएस विधायक तीन बार गए थे जर्मनी
चेन्नामनेनी रमेश के पास 2033 तक वैध जर्मन पासपोर्ट है और उन्होंने 2023 में इसे उपयोग करते हुए तीन बार जर्मनी की यात्रा की। मंत्रालय ने पाया कि रमेश ने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन के 12 महीने की अवधि में विदेश यात्राओं की जानकारी छिपाई थी।
रमेश ने गृह मंत्रालय के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की और स्थगन आदेश प्राप्त किया। लेकिन हाईकोर्ट ने अब इस मामले में अंतिम फैसला सुनाते हुए उनके खिलाफ सख्त टिप्पणी की।
नवंबर 2023 के चुनावों में बीआरएस ने रमेश को टिकट नहीं दिया और उनकी जगह लक्ष्मी नरसिम्हा राव को उम्मीदवार बनाया। हालांकि वह हार गईं और कांग्रेस के श्रीनिवास ने यह चुनाव जीता। हाईकोर्ट का यह फैसला रमेश के लिए बड़ा झटका है।