हैदराबाद: तेलंगाना में एक सुरंग में 48 घंटे से अधिक समय से फंसे आठ श्रमिकों को बाहर निकालने का प्रयास तीसरे दिन भी जारी है। इस बीच राज्य सरकार के एक मंत्री ने कहा है कि इन श्रमिकों के अब बचने की संभावना काफी कम है। मंत्री ने बताया कि कीचड़ और बड़ी मात्रा में पानी बचाव अभियान में बाधा डाल रहे हैं।

नागरकुर्नूल में श्रीशैलम बांध के पीछे 44 किलोमीटर लंबी सुरंग शनिवार सुबह उस समय ढह गई थी जब कुछ कर्मचारी इसके अंदर रिसाव की मरम्मत कर रहे थे। हादसे के समय अधिकांश वहां से भागने में सफल रहे, लेकिन आठ लोग गए। शनिवार से जारी बचाव अभियान के बीच अभी तक सुरंग में फंसे इन लोगों से किसी तरह का संपर्क नहीं हो सका है।

बचाव प्रयासों की देखरेख कर रहे राज्य के मंत्री कृष्ण राव ने बताया है कि फंसे हुए 8 लोगों में चार मजदूर हैं और चार निर्माण कंपनी के कर्मचारी हैं।

उत्तराखंड में बचाव अभियान में शामिल रही टीम पहुंची

हादसे के बाद से फंसे हुए लोगों को निकालने के प्रयास में सेना सहित राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य एजेंसियां​ लगी हुई हैं। इस बीच नौसेना कमांडो भी इनकी सहायता के लिए पहुंचे हैं। उत्तराखंड में 2023 सिल्कयारा सुरंग ऑपरेशन में काम करने वाली टीम के छह सदस्य भी बचाव प्रयासों में शामिल होने के लिए घटनास्थल पर पहुंच गए हैं।

गौरतलब है कि सुरंग के मुहाने से कम से कम 13 किमी अंदर दुर्घटना हुई थी और बचावकर्मी अंतिम 100 मीटर तक पहुंच गए हैं। हालांकि, राज्य के मंत्री कृष्णा राव ने कहा कि पानी और कीचड़ बचाव अभियान में बाधा डाल रहे हैं।

राव ने कहा, 'सुरंग के अंदर बहुत अधिक कीचड़ जमा हो चुका है, जिससे चलना असंभव हो गया है। बचावकर्मी नेविगेट करने के लिए रबर ट्यूब और लकड़ी के तख्तों का उपयोग कर रहे हैं। जीवित रहने की संभावना कम है, लेकिन हम आशान्वित हैं और कोई भी प्रयास नहीं छोड़ रहे हैं।'

बचावकर्मियों ने और अधिक उपकरणों की जरूरत भी बताई है। कल एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सुरंग की दीवारों पर दरारें हैं जहां से पानी आ रहा था और ऐसे में जल निकासी कराने की जरूरत है। चिंता की एक और बात यह भी है कि पत्थरों के हिलने की आवाज़ से संकेत मिल रहा है कि सुरंग के ढहे हुए हिस्से की छत अभी भी अस्थिर है। बताया गया है कि केंद्र और राज्य स्तर पर स्थिति पर चौबीसों घंटे नजर रखी जा रही है।

तेलंगाना: सुरंग में फंसे मजदूर, क्या हुआ था?

दरअसल, राज्य सरकार ने एक लंबित परियोजना को पूरा करने के लिए हाल ही में इस सुरंग के निर्माण कार्य को फिर से शुरू किया था। निर्माण फर्म ने चार दिन पहले काम शुरू किया था और शनिवार सुबह 50 श्रमिक काम के लिए सुरंग में गए थे।

सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के बाद सुरंग पर काम शुरू किया गया था। उन्होंने मीडिया को बताया कि जिस कंपनी को काम के लिए रखा गया था, उसका सुरंग खोदने का अच्छा रिकॉर्ड रहा है।

उन्होंने कहा कि शनिवार सुबह सुरंग में काम शुरू होने के तुरंत बाद ही उसमें पानी घुसने लगा और मिट्टी धंसने लगी। श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) के हिस्से के रूप में खोदी जा रही इस सुरंग का एक हिस्सा डोमलपेंटा के पास ढह गया था। 

यह दुर्घटना 14वें किमी बिंदु पर हुई। हालांकि, हादसे के बाद 42 श्रमिक सुरंग से बाहर आ गए, शेष आठ वहीं फंस गए। सुरंग में फंसे हुए लोगों में दो इंजीनियर और दो मशीन ऑपरेटर शामिल हैं।

लोको ट्रेन से ग्यारहवें किलोमीटर तक पहुंची एनडीआरएफ की टीम को वहां पानी और कीचड़ मिला है। सुरंग में लगभग तीन फीट पानी जमा हो गया था। इसके बाद एनडीआरएफ कर्मी पैदल ही आगे बढ़े और उस बिंदु के करीब पहुंचे, जहां सुरंग की छत धंस गई थी।

हालांकि, इस दुर्घटना में सुरंग खोदने वाली मशीन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। सुरंग की छत और मिट्टी से निकले पानी ने मशीन को 80 मीटर तक पीछे धकेल दिया है। साथ ही मशीन के दोनों तरफ पानी और कीचड़ भी जमा हो गया है, जिससे बचाव अभियान में परेशानी आ रही है।

इन राज्यों से हैं मजदूर

अधिकारियों के मुताबिक, बचाव कार्य को आगे बढ़ाने के लिए पानी को पंप करके बाहर निकालना होगा और कीचड़ को साफ करना होगा। सुरंग में फंसे मजदूर झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के हैं।

वहीं, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने घटना पर दुख व्यक्त किया और आश्वासन दिया कि सरकार पीड़ितों के परिवारों को हर संभव मदद देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से फोन पर बात की थी और घटना के बारे में जानकारी ली।

(समाचार एजेंसी IANS इनपुट के साथ)