हैदराबादः तेलंगाना में फोन टैपिंग की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। टास्क फोर्स के पूर्व डीसीपी पी राधाकिशन राव ने इसमें अपनी संलिप्तता स्वीकार की है। फोन टैपिंग का यह मामला के. चंद्रशेखर की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार के सत्ता में रहने के दौरान का है। राव ने पुलिस को बताया कि मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव अपनी बेटी के कविता के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय के मामले से छुटकारा पाने के लिए समझौता करने के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता बीएल संतोष को गिरफ्तार करना चाहते थे।
मामले की जांच कर रही हैदराबाद पुलिस ने राधाकिशन राव को 29 मार्च को फोन टैपिंग और कुछ कंप्यूटर सिस्टम और आधिकारिक डेटा को नष्ट करने के मामले में गिरफ्तार किया था। राव के खुलासे के बाद भाजपा के. चंद्रशेखर राव को गिरफ्तार करने की मांग की है।
इंडिया एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि राधाकिशन राव ने तत्कालीन तेलंगाना विशेष खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) प्रमुख टी प्रभाकर राव के निर्देशों के तहत राजनेताओं और अन्य लोगों पर निगरानी रखने में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है। प्रभाकर राव को मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने पी राधाकिशन राव के अलावा निलंबित डीएसपी प्रणीत राव और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एन भुजंगा राव और एम थिरुपटन्ना को भी गिरफ्तार किया है।
निगरानी के दायरे में मीडिया से जुड़े लोग भी थे
इस बीच, एनडीटीवी ने बताया कि राधाकिशन राव ने दावा किया कि मीडिया उद्योग के दिग्गजों, सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं (तत्कालीन सत्तारूढ़ बीआरएस सहित) के डिवाइस को हैक कर उनकी निगरानी की गई। कथित तौर पर यह नवंबर में विधानसभा चुनाव से पहले हुआ था। ताकि “तत्कालीन मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर नजर रखी जा सके।
कौन कर रहा था निगरानी टीम का नेतृत्व?
राधाकृष्ण राव ने छह पन्नों के कबूलनामे में जांचकर्ताओं को बताया कि बीआरएस सरकार की आलोचना करने वालों और पार्टी के लिए संभावित खतरा माने जाने वाले लोगों पर कड़ी इलेक्ट्रॉनिक निगरानी रखी जाती थी। ऐसे कौन-कौन लोग थे इसकी पूरी सूची पूर्व एसआईबी पुलिस उपाधीक्षक डी प्रणीत राव को दी गई थी। इनमें बीआरएस और विपक्ष दोनों के ही नेताओं के नाम थे।
इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि प्रवीण राव के नेतृत्व में ही नेताओं की प्रोफाइल बनाई जाती थी। और फोन टैपिंग के जरिए उनपर नजर रखी जाती थी। इसकी भनक लगने के बाद कई लोग बातचीत के लिए व्हाट्सएप या स्नैपचैट जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने लगे। तत्कालीन एसआईबी प्रमुख प्रभाकर राव ने कथित तौर पर टीम को इंटरनेट प्रोटोकॉल डेटा रिकॉर्ड का उपयोग करके कॉल ट्रैक करने का निर्देश दिया था।
किस-किस के फोन टैप किए गए?
रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व आईपीएस अधिकारी आरएस प्रवीण कुमार, पूर्व बीआरएस नेता और विधायक कदियम श्रीहरि, पूर्व बीआरएस मंत्री टी राजैया, तंदूर के पूर्व विधायक पटनम महेंद्र रेड्डी, कांग्रेस नेता के जन रेड्डी और उनके दो बेटे और कई जिला स्तरीय कांग्रेस नेताओं पर निगरानी रखी जाती थी। प्रवीण कुमार ने वीआरएस ले लिया था और बसपा में शामिल हो गए थे। हाल ही में वे बीआरएस में शामिल हुए थे।
सूत्रों के हवाले से कहा गया कि कई उद्योगपतियों, बिल्डरों, व्यापारियों, पत्रकारों और नौकरशाहों की गतिविधियों पर भी नजर रखी गई। यह पता लगाने के लिए कि वे किससे बात कर रहे हैं या किससे मिल रहे हैं। एनडीटीवी के अनुसार, राव ने यह भी कहा कि रियल एस्टेट और निर्माण उद्योग के व्यवसायियों पर भी नजर रखी गई। पुलिस ने इस साल मार्च में कहा था कि राधाकिशन राव ने बिना अनुमति के ऐसे निजी व्यक्तियों पर निगरानी रखने की साजिश के कथित अपराधों में अपनी संलिप्तता कबूल की है।
राधाकिशन राव ने यह भी माना है कि उन्होंने चुनाव आचार संहिता लागू होने पर अवैध रूप से धन का परिवहन करने के लिए सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किया। वहीं अन्य आरोपियों के साथ मिलीभगत करके सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाकर और सबूतों को गायब करके अपनी अवैध गतिविधियों के सबूतों को नष्ट किया।
भाजपा ने पूर्व सीएम के चंद्रशेखर राव की गिरफ्तारी की मांग की
पूर्व डीसीपी पी राधाकिशन राव के चौंकाने वाले खुलासे के बाद भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) को गिरफ्तार करने की मांग की है। भाजपा तेलंगाना इकाई ने केसीआर को गिरफ्तार करने और उनपर मुकदमा चलाने की मांग की है। पार्टी प्रवक्ता एन.वी. सुभाष ने पूछा कि कांग्रेस सरकार भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के नेता को फोन टैपिंग में शामिल होने के सबूतों के बावजूद गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है?
फोन टैपिंग को बीआरएस का सबसे बड़ा घोटाला बताते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि केसीआर का परिवार और उनके करीबी पुलिस अधिकारी इस मामले में शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मामले में कांग्रेस सरकार द्वारा कार्रवाई न करना दर्शाता है कि बीआरएस और कांग्रेस की मिलीभगत है। भाजपा नेता ने कहा कि पुलिस अधिकारियों के कबूलनामे से पता चलता है कि बीआरएस सरकार ने अपने शासन के दौरान कई भाजपा नेताओं को परेशान किया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच से सच्चाई सामने आ सकती है।