बिहार में घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन पर घमासान, तेजस्वी बोले- ये गरीब वोटर को हटाने की कोशिश, ओवैसी भी बिफरे

तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार में चुनाव से कुछ महीने पहले ऐसा क्यों किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि क्या 25 दिनों के भीतर आठ करोड़ लोगों की मतदाता सूची तैयार करना संभव है?

tejashwi yadav

tejashwi yadav Photograph: (Social Media)

पटना: बिहार में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग द्वारा विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण पर सियासी घमासान तेज हो गया है। महागठबंधन ने इसे गरीबों को वोट देने से रोकने की साजिश बताया है। तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया है कि एक महीने से भी कम समय में पूरे राज्य में मतदाओं का सत्यापन कैसे संभव है। दूसरी ओर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी चुनाव आयोग की इस पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आयोग बिहार में गुपचुप तरीके से एनआरसी लागू कर रहा है।

25 दिन में नया वोटर लिस्ट कैसे बनेगा: तेजस्वी यादव

तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चुनाव आयोग का ताजा कदम गरीब लोगों को मतदान से रोकने और मतदाता सूची में हेराफेरी करने का प्रयास है। उन्होंने कहा, 'चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की घोषणा की है...इसका मतलब है कि 8 करोड़ बिहारियों की मतदाता सूची को दरकिनार कर दिया गया है और एक नई सूची बनाई जाएगी। चुनाव से 2 महीने पहले ऐसा क्यों किया जा रहा है? क्या 25 दिनों के भीतर आठ करोड़ लोगों की मतदाता सूची तैयार करना संभव है?... मांगे गए दस्तावेज ऐसे हैं कि गरीबों के पास शायद वे भी न हों।'

तेजस्वी यादव ने दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डरे हुए हैं और इसीलिए वे इस तरह के कदम उठा रहे हैं।

राजद नेता ने कहा, 'मांगे गए दस्तावेज ऐसे हैं कि गरीबों के पास शायद न हों... हमारा प्रतिनिधिमंडल इस मामले को लेकर चुनाव आयोग से संपर्क करेगा। सीएम नीतीश कुमार और पीएम मोदी डरे हुए हैं। वे चाहते हैं कि गरीबों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएं। वे समाज के गरीब तबके से वोट देने का अधिकार छीनना चाहते हैं।'

तेजस्वी यादव ने मानसून का जिक्र करते हुए कहा कि बिहार का 73 प्रतिशत हिस्सा बाढ़ की चपेट में रहता है। उन्होंने कहा, 'चूंकि मानसून शुरू होने वाला है और बिहार का कुल 73 प्रतिशत इलाका बाढ़ की चपेट में रहता है, इसलिए सवाल यह उठता है कि क्या लोग अपनी जान और संपत्ति की सुरक्षा करेंगे या चुनाव आयोग को दस्तावेज मुहैया कराएंगे?'

22 साल पहले इस काम में दो साल लगे थे: तेजस्वी यादव

तेजस्वी यादव ने कहा कि 22 साल पहले सत्यापन का यही काम हुआ था, जिसमें दो साल लगे थे। तेजस्वी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के तत्काल बाद यह काम क्यों नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि जब लोकसभा चुनाव उसी वोटर लिस्ट पर हुआ तो विधानसभा चुनाव से पहले क्यों परेशानी आ गई, वरना सरकार लोकसभा चुनाव को भी अवैध घोषित करे।

वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि महाराष्ट्र में अनाधिकृत रूप से और बिहार में अधिकृत रूप से वोटर की संख्या को कम करने का दबाव केंद्र सरकार की ओर से है और इसी के तहत ये सारी प्रक्रिया की जा रही है।

ओवैसी बोले- गुपचुप तरीके से एनआरसी लागू कराया जा रहा

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के फैसले पर ऐतराज जताया है। ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'निर्वाचन आयोग बिहार में गुपचुप तरीके से एनआरसी लागू कर रहा है। वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने के लिए अब हर नागरिक को दस्तावेजों के जरिए साबित करना होगा कि वह कब और कहां पैदा हुआ था, और यह भी कि उनके माता-पिता कब और कहां पैदा हुए थे। विश्वसनीय अनुमानों के अनुसार भी केवल तीन-चौथाई जन्म ही पंजीकृत होते हैं। ज्यादातर सरकारी कागजों में भारी गलतियां होती हैं।'

उन्होंने लिखा, 'बाढ़ प्रभावित सीमांचल क्षेत्र के लोग सबसे गरीब हैं, वे मुश्किल से दिन में दो बार खाना खा पाते हैं। ऐसे में उनसे यह अपेक्षा करना कि उनके पास अपने माता-पिता के दस्तावेज होंगे, एक क्रूर मजाक है।'

असदुद्दीन ओवैसी ने वोटर लिस्ट का जिक्र करते हुए लिखा, 'इस प्रक्रिया का परिणाम यह होगा कि बिहार के गरीबों की बड़ी संख्या को वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया जाएगा। वोटर लिस्ट में अपना नाम भर्ती करना हर भारतीय का संवैधानिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में ही ऐसी मनमानी प्रक्रियाओं पर सख्त सवाल उठाए थे। चुनाव के इतने करीब इस तरह की कार्रवाई शुरू करने से लोगों का निर्वाचन आयोग पर भरोसा कमजोर हो जाएगा।'

भाजपा ने विपक्ष पर साधा निशाना

विपक्ष के आरोपों के बीच बिहार में सत्ता पक्ष सहित भाजपा नेताओं की ओर से पलटवार भी किया गया है। बिहार सरकार में मंत्री नितिन नबीन ने शुक्रवार को कांग्रेस की तरफ से मतदाता सूची के पुनरीक्षण कराए जाने का विरोध करने की निंदा की। उन्होंने कहा कि अगर मतदाता सूची का पुनरीक्षण करके फर्जी और गलत मतदाताओं को हटाया जा रहा है, तो इससे कांग्रेस को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। 

उन्होंने कहा, 'जो राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं, उनसे मैं यही पूछना चाहूंगा कि क्या आप लोग फर्जी मतदाताओं के सहारे सत्ता हासिल करना चाहते हैं? फर्जी मतदाताओं को तो रोका जाएगा। इसके अलावा, जो राजनीतिक दल फर्जीवाड़ा कर रहे हैं, उन्हें भी किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे तत्वों को एक स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।'

चुनाव आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के फैसले का बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को इस फैसले से बेचैनी क्यों हो रही है? अगर चुनाव आयोग पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना चाहता है, तो इसमें गलत क्या है? विपक्ष लोकतंत्र के खिलाफ काम करने में लगा हुआ है। चुनाव आयोग का यह कदम बिहार में निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया को मजबूत करेगा।

(समाचार एजेंसी IANS के इनपुट के साथ)

यह भी पढ़ें- बिहार बनेगा मोबाइल से मतदान कराने वाला देश का पहला राज्य, नगर पालिक चुनाव में होगी ई-वोटिंग

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article