नई दिल्लीः बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) को लेकर जारी विवाद के बीच, पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने चुनाव आयोग (ECI) पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर बिहार और तमिलनाडु में मतदाता सूची से जुड़े घटनाक्रमों को लेकर गहरी चिंता जताई है। चिदंबरम ने कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया "और भी ज्यादा रहस्यमयी" होती जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक ओर बिहार में 65 लाख मतदाताओं को मतदाता सूची से बाहर किए जाने का खतरा है, वहीं तमिलनाडु में 6.5 लाख नए लोगों को वोटर के तौर पर जोड़ा जाना बेहद चिंताजनक और स्पष्ट रूप से अवैध है।
The SIR exercise is getting curiouser and curiouser
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) August 3, 2025
While 65 lakh voters are in danger of being disenfranchised in Bihar, reports of "adding" 6.5 lakh persons as voters in Tamil Nadu is alarming and patently illegal
Calling them "permanently migrated" is an insult to the…
उन्होंने आरोप लगाया कि इन लोगों को "स्थायी रूप से प्रवासित" बताया जा रहा है, जो न केवल प्रवासी मजदूरों का अपमान है, बल्कि यह तमिलनाडु की जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों में भी सीधा हस्तक्षेप है। कांग्रेस नेता ने सवाल उठाया कि एक प्रवासी मजदूर बिहार (या अपने गृह राज्य) लौटकर विधानसभा चुनाव में मतदान क्यों नहीं कर सकता, जबकि आमतौर पर वे छठ पूजा जैसे त्योहारों पर अपने घर लौटते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के लिए व्यक्ति का एक निश्चित और कानूनी स्थायी निवास होना चाहिए और यदि प्रवासी मजदूर का परिवार बिहार में रहता है और उसका स्थायी घर वहीं है, तो उसे तमिलनाडु का स्थायी निवासी कैसे माना जा सकता है?
चिदंबरम ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहा है और राज्यों के चुनावी स्वरूप और पैटर्न को जबरन बदलने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि शक्तियों के इस दुरुपयोग का राजनीतिक और कानूनी तौर पर मुकाबला किया जाना चाहिए। यह ध्यान देने योग्य है कि विपक्ष एसआईआर प्रक्रिया को लेकर संसद के दोनों सदनों में विरोध प्रदर्शन कर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग की यह कवायद बिहार विधानसभा चुनाव से पहले "मतदाताओं को उनके अधिकार से वंचित" करने के उद्देश्य से की जा रही है और विपक्षी दल इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की मांग कर रहे हैं।