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नई दिल्ली: तालिबान ने मुंबई में अफगान मिशन में कार्यवाहक वाणिज्यदूत (काउंसल) नियुक्त करने का दावा किया है। भारत सरकार की ओर से हालांकि इस संबंध में समाचार लिखे जाने तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, न ही कोई बयान सामने आया है। वहीं, अफगान मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उपविदेश मंत्री मोहम्मद स्ताविकजाई ने सोमवार को बताया कि इकरामुद्दीन कामिल को मुंबई में कार्यवाहक वाणिज्यदूत नियुक्त किया गया है।
काबुल के तालिबान शासन द्वारा पहले भी अपगान मिशन में अपने अधिकारियों को नियुक्त करने के प्रयास किए गए थे। हालांकि, तालिबान सरकार को भारत द्वारा आधिकारिक मान्यता नहीं दिए जाने के कारण वे प्रयास सफल नहीं हुए थे। वैसे, भारत मानवीय मुद्दों पर तालिबान अधिकारियों के साथ पहले से ही मिलकर काम करना जारी रखे हुए है और अपना दूतावास भी खुला रखा है।
तालिबान की ओर से भारत में पहली ऐसी नियुक्ति
अफगान मीडिया ने सोमवार को बताया कि इकरामुद्दीन कामिल 'तालिबान शासन द्वारा भारत में किसी भी अफगान मिशन में की गई पहली ऐसी नियुक्ति हैं।' साल 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के तत्काल बाद भारत ने काबुल से अपने राजनयिकों को हटा लिया था। वहीं, नई दिल्ली में दूतावास का प्रबंधन करने वाले अफगान राजनयिकों ने भी भारत छोड़ दिया था और दूसरे पश्चिमी देशों में शरण मांगी। एक अकेले पूर्व राजनयिक, जिन्होंने भारत में रहना जारी रखा है, उन्होंने किसी तरह अफगान मिशन/वाणिज्य दूतावास को चालू रखाप।
तालिबान सरकार को मान्यता देगा भारत?
ऑल इंडिया रेडियो की रिपोर्ट के अनुसार भारत के विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने भी कहा कि एक युवा अफगान छात्र अफगान वाणिज्य दूतावास में एक राजनयिक के रूप में कार्य करने के लिए सहमत हो गया है। सूत्रों ने कहा कि, जहां तक उसकी संबद्धता या स्थिति का सवाल है, वह भारत में अफगानों के लिए काम करने वाला एक अफगान नागरिक है।
भारत में एक बड़ा अफगान समुदाय रहता है, जिसे कांसुलर सेवाओं की जरूरत है। सूत्रों ने कहा कि इसलिए वर्तमान में भारत में रहने वाले अफगान नागरिकों को प्रभावी ढंग से सेवा देने के लिए अधिक कर्मचारियों की आवश्यकता है।
जहां तक तालिबान को मान्यता देने का सवाल है तो सूत्रों ने कहा कि किसी भी सरकार को मान्यता देने की एक तय प्रक्रिया होती है और भारत इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करना जारी रखेगा। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार सरकारी सूत्रों ने बताया है कि मौजूदा घटनाक्रम को तालिबान सरकार को मान्यता देने की ओर कदम बढ़ाने के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।
कौन हैं इकरामुद्दीन कामिल?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कामिल मुंबई में हैं, जहां वह 'इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान' का प्रतिनिधित्व करने वाले एक राजनयिक के रूप में अपने दायित्वों को पूरा कर रहे हैं। कामिल ने अंतरराष्ट्रीय कानून में पीएचडी की डिग्री हासिल कर रखी है। सूत्रों के अनुसार कामिल ने भारत में सात साल तक पढ़ाई की है। इन्होंने MEA (भारतीय विदेश मंत्रालय) की छात्रवृत्ति पर दक्षिण एशिया विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की।
कामिल इससे पहले विदेश मंत्रालय में सुरक्षा सहयोग और सीमा मामलों के विभाग में उप निदेशक के रूप में काम कर चुके हैं।
इसी साल मई में भारत में सबसे वरिष्ठ अफगान राजनयिक जकिया वारदाक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्हें दुबई से 18.6 करोड़ रुपये मूल्य के 25 किलोग्राम सोने की तस्करी की कोशिश के आरोप में मुंबई हवाई अड्डे पर पकड़े जाने की खबरें सामने आई थी। इसी के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया।
बताते चलें कि दुनिया के कई देशों की तरह भारत ने भी तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। हालांकि, भारत ने काबुल में अपना दूतावास चलाना अब जारी रखा है और नियमित रूप से राहत सहायता भी भारत की ओर से भेजी जाती रही है।