ताइपेईः ताइवान की नेशनल एकेडमी ऑफ मरीन रिसर्च (NAMR) और भारत की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री विज्ञान अनुसंधान के लिए एक ऐतिहासिक समझौता किया है। यह सहयोग दोनों देशों के बीच विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में नई संभावनाओं का द्वार खोलेगा।
ताइवान समाचार के मुताबिक, यह समझौता 20 नवंबर को नई दिल्ली में आयोजित एक एमओयू (समझौता ज्ञापन) हस्ताक्षर कार्यक्रम के दौरान हुआ। समझौते का उद्देश्य समुद्री विज्ञान और उससे जुड़े क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान और प्रगति को प्रोत्साहित करना है।
समुद्री तकनीक और अनुसंधान को मिलेगा विस्तार
ओशन अफेयर्स काउंसिल के उप-मंत्री हुआंग जियांगवेन ने कहा कि यह समझौता ताइवान की अंतरराष्ट्रीय साझेदारी और तकनीकी आदान-प्रदान को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने इस समझौते के माध्यम से समुद्री तकनीक के विकास में प्रगति और ध्रुवीय अनुसंधान में सहयोग के विस्तार की उम्मीद भी जताई।
पूर्व NAMR अध्यक्ष चिउ युंग-फैंग के नेतृत्व में कई ऑनलाइन बैठकों और व्यक्तिगत मुलाकातों के माध्यम से इस समझौते का आधार तैयार हुआ था। इसके बाद, ओशन अफेयर्स काउंसिल की मंत्री कुआन बी-लिंग और वर्तमान NAMR अध्यक्ष चेन चिएन-हंग के प्रयासों से 2023 के अंत में इस समझौते को अंतिम रूप दिया गया।
इस समझौते पर भारत ने क्या कहा?
भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने उम्मीद जताई कि यह सहयोग भारत और ताइवान के बीच समुद्री अनुसंधान को और अधिक सुदृढ़ करेगा। यह समझौता न केवल ताइवान और भारत के बीच वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देगा, बल्कि समुद्री पर्यावरण और तकनीक से जुड़े वैश्विक मुद्दों पर साझा प्रयासों को भी सशक्त करेगा।