नई दिल्लीः तहव्वुर राणा को 10 अप्रैल को अमेरिका से भारत वापस लाया गया। भारत लाए जाने के बाद उसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की कस्टडी में 18 दिनों तक रखा जाएगा। इस बीच राणा ने दिल्ली न्यायालय से अनुरोध किया है कि "ऐसा कोई वकील नहीं चाहिए जो उसके माध्यम से नाम और प्रसिद्धि कमाता प्रतीत हो।"
राणा पर साल 2008 में हुए मुंबई के ताज होटल में आतंकी हमले के आरोप हैं। उसने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को रसद और जरूरी सामान मुहैया कराए थे।
16 साल बाद भारत वापसी
इस हमले के करीब 16 साल बाद उसकी अमेरिका से भारत वापसी हो सकी है। अब उस पर यहां ट्रायल चलेगा। गुरुवार रात 10 बजे उसकी औपचारिक गिरफ्तारी के बाद उसे एनआईए की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया जहां एनआईए ने 20 दिनों की कस्टडी मांगी। हालांकि अदालत ने 18 दिनों की कस्टडी दी।
अदालत ने इस संबंध में अपने आदेश को सुनाते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंदरजीत सिंह ने कहा कि "अभियुक्त ने मांग की है कि कोई ऐसा वकील नहीं होना चाहिए जो उसके माध्यम से नाम और प्रसिद्धि कमाता प्रतीत हो। "
इसके साथ ही न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत विधिक सेवा वकील उपस्थित हैं लेकिन चूंकि अभियुक्त ने मांग की है इसलिए विधिक सेवा अधिवक्ता को यह निर्देश दिया जाता है कि वे मीडिया (प्रिंट, डिजिटल) में इस मामले से संबंधित बयान नहीं देंगे। इसके साथ ही अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि यदि पहले से कानूनी सेवा परामर्शदाता का विवरण मीडिया में ज्ञात नहीं है तो उसे मीडिया में नहीं बताया जाएगा।
नरम टिप पेन के साथ लेखन उपकरण दिया गया
इसके अलावा न्यायाधीश ने आगे कहा कि अभियुक्त ने अपने वकील को निर्देश देने के लिए कुछ सहायक उपकरणों की मांग की है। ऐसे में अभियुक्त को वकील को निर्देश देने के लिए स्केच और कागज जैसे नरम टिप के साथ एक लेखन उपकरण दिया जाएगा।
राणा को दिल्ली स्थित एनआईए के मुख्यालय में एक उच्च सुरक्षा सेल में रखा गया है। इससे पहले यहां लॉरेंश बिश्नोई को भी रखा गया था। यह लॉक अप ग्राउंड फ्लोर पर है। इसकी निगरानी सीआईएसएफ और एनआईए के दो अधिकारी कर रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है "राणा पर 24 घंटे निगरानी रखी जा रही है और उसे कैंटीन से खाने सहित अन्य जरूरी आवश्यकताएं प्रदान की गई हैं।"
सुरक्षा को देखते हुए एनआईए मुख्यालय के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
राणा को मुंबई हमलों के करीब 11 महीनों बाद साल 2009 में शिकागो में गिरफ्तार किया गया था। वह पहले पाकिस्तानी सेना चिकित्सा कोर में काम कर चुका है। राणा के संबंध में अमेरिकी न्याय विभाग ने कहा कि उसने अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली को मुंबई यात्रा करने में जरूरी सुविधाएं मुहैया कराईं थी जिससे वह लश्कर-ए-तैयबा द्वारा आतंकी हमले से पहले संभावित लक्ष्य निर्धारित कर सके।