वॉशिंगटन: अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा की भारत में उसके प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। अमेरिकी कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित एक नोटिस के जरिए यह जानकारी दी गई है। इससे पहले पिछले महीने अमेरिका की शीर्ष अदालत ने राणा की प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका खारिज कर दी थी।
64 साल का राणा पाकिस्तानी मूल का एक कनाडाई नागरिक है। वह वर्तमान में लॉस एंजिल्स में मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है। इस साल फरवरी में, राणा ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट की एसोसिएट जस्टिस एलेना कगन के सामने 'बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के मुकदमे के लंबित रहने तक प्रत्यर्पण पर रोक लगाने के लिए आपातकालीन आवेदन' दायर किया था।
तहव्वुर राणा ने फिर से दायर की थी याचिका
अपनी याचिका खारिज होने के बाद राणा ने फिर से याचिका दी थी और अनुरोध किया था इस आवेदन को चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स को भेजा जाए।
बहरहाल, समाचार एजेंसी पीटीआई ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित एक आदेश का हवाला देते हुए बताया था कि राणा के नए आवेदन को '4/4/2025 को कॉन्फ्रेंस के लिए सूचिबद्ध किया गया है' और 'आवेदन' को 'न्यायालय को भेजा गया है।'
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सोमवार को एक नोटिस में कहा गया, 'न्यायालय द्वारा आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया है।'
डोनाल्ड ट्रंप प्रत्यर्पण को दे चुके हैं मंजूरी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इस साल फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के बाद तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दिए जाने के बाद राणा ने पिछले महीने याचिका दायर की थी। राणा को 1997 में दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षरित भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के आधार पर प्रत्यर्पित किया जाना है।
राणा पूर्व में पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के तौर पर काम कर चुका है। राणा 1990 के दशक में कनाडा चला गया था, जहां उसे बाद में नागरिकता मिल गई। बाद में वह अमेरिका गया, जहां सने शिकागो में एक इमिग्रेशन कंस्लटेंसी- 'फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज' खोली। राणा का दोस्त डेविड हेडली (पूर्व में दाउद गिलानी) उन लोगों में से एक है, जिसने उसे अपराध की दुनिया की ओर प्रेरित किया। बताया जाता है कि पाकिस्तान में राणा और हेडली स्कूल के समय से दोस्त रहे हैं।
मुंबई हमले में राणा की भूमिका क्या थी?
दरअसल, हेडली को 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के लिए लोकेशन का पता लगाने में उसकी भूमिका के लिए अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद अमेरिकी अभियोजकों ने हेडली से मिली जानकारी के आधार पर राणा को 2009 में गिरफ्तार किया।
राणा के इमिग्रेशन कंस्लटेंसी के माध्यम से ही हेडली ने मुंबई का दौरा किया था। मुंबई में रहते हुए हेडली ने संभावित हमले वाले स्थानों की पहचान की और खुफिया जानकारी इकट्ठा की। हेडली मुबई हमलों से पहले राणा के इमिग्रेशन कंस्लटेंसी के कर्मचारी के तौर पर भारत आया था। उसने मुंबई में ताज होटल और छत्रपति शिवाजी टर्मिनल जैसे कई अहम स्थानो की टोह ली थी, जहां बाद में हमले किए गए।
राणा को हेडली और लश्कर-ए-तैयबा की मदद करने के आरोप में अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था। साल 2008 में हुए मुंबई हमलों में डेविड हेडली और लश्कर-ए-तैयबा की सहायता के अलावा तहव्वुर राणा पर कुछ और आरोप भी हैं।
मुंबई हमले में हेडली की सहायता के अलावा राणा पर डेनमार्क के एक अखबार पर हमला करने की नाकाम साजिश में भी शामिल रहने का आरोप है। इस अखबार ने 2005 में पैगंबर मुहम्मद पर कुछ विवादास्पद कार्टून प्रकाशित किए थे।
साल 2011 में राणा पर अमेरिका में मुकदमा चलाया गया और डेनमार्क के अखबार पर हमला करने की साजिश में लश्कर-ए-तैयबा को सहायता करने का दोषी ठहराया गया। हालाँकि, अमेरिकी जूरी ने उसे मुंबई हमलों में प्रत्यक्ष संलिप्तता से बरी कर दिया था। राणा को 14 साल की सजा अमेरिकी कोर्ट ने सुनाई। इसके बाद उसे पांच साल की निगरानी में रहते हुए रिहाई की मंजूरी दी गई थी।
दूसरी ओर राणा के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया था कि हेडली ने उसे धोखा दिया और कथित तौर पर उसे अनजाने में आतंकवादी साजिशों में सहायता करने के लिए प्रेरित किया था। वहीं, हेडली ने एक डील के हिस्से के रूप में राणा के खिलाफ गवाही दी, जिससे उसे मौत की सजा से बचने की अनुमति मिल गई। डेविड हेडली को 2013 में अमेरिका कोर्ट ने 35 साल जेल की सजा सुनाई थी।