नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को पाकिस्तान और चीन के हालिया बयानों और कार्रवाइयों पर कड़ा रुख अपनाते हुए साफ संदेश दिया कि आतंकवाद और सीमा पर अवैध कब्जे को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा, “इसमें प्रासंगिक शब्द ‘टी’ है, जिसका मतलब ‘आतंकवाद’ है, न कि ‘टैंगो’।”
पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर भारत का जवाब
गुरुवार को पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने नई दिल्ली के साथ बेहतर संबंधों की इच्छा जताई थी। इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डार ने कहा, “इट टेक्स टू टू टैंगो,” यानी “एक हाथ से ताली नहीं बजती।” उन्होंने भारत से माहौल बनाने की अपील की, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार और कूटनीतिक संबंध सुधर सकें।
डार के इस बयान पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने तंज कसते हुए कहा, “इसमें प्रासंगिक शब्द ‘टी’ है जिसका मतलब होता है ‘आतंकवाद’ न कि ‘टैंगो’…” रणधीर जायसवाल ने आतंकवाद को मुख्य बाधा बताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पहले अपने यहां पनप रहे आतंकवादी समूहों के खिलाफ कड़ा कदम उठाए।
#WATCH | Delhi: On Pakistan Deputy PM and Foreign Minister Ishaq Dar’s statement regarding ties with India ‘it takes two to tango’, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, ” The relevant ‘T’ word there is ‘terrorism’ and not ‘tango’…” pic.twitter.com/2hrTW75ScR
— ANI (@ANI) January 3, 2025
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में तनाव फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद चरम पर पहुंच गया था, जब भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी प्रशिक्षण शिविर पर एयरस्ट्राइक की थी। इसके बाद, अगस्त 2019 में भारत द्वारा अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के फैसले ने संबंधों को और खराब कर दिया।
पाकिस्तान ने इस कदम के विरोध में भारत के साथ राजनयिक संबंधों में कमी कर दी थी। वहीं, भारत बार बार यह दोहराता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है, लेकिन इसके लिए आतंकवाद और दुश्मनी से मुक्त माहौल बनाना जरूरी है।
2023 में एससीओ बैठक और जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा
मई 2023 में, पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने गोवा में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लिया। यह लगभग 12 वर्षों बाद किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की भारत यात्रा थी।
इसी तरह, पिछले साल भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान का दौरा किया था। यह नौ वर्षों में पहली बार था जब भारत का कोई विदेश मंत्री पाकिस्तान गया था। हालांकि, कश्मीर और सीमा पार आतंकवाद जैसे मुद्दों पर दोनों देशों के बीच तनाव बना रहा।
पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तारड़ ने एस. जयशंकर की इस्लामाबाद यात्रा को “बर्फ पिघलाने” वाला कदम बताया था। उनके अनुसार, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा आयोजित रात्रिभोज में जयशंकर और इसहाक डार के बीच बातचीत हुई, जिसमें क्रिकेट संबंधों को सुधारने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। जयशंकर ने इस्लामाबाद से रवाना होने से पहले ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पाकिस्तान सरकार की मेजबानी और शिष्टाचार के लिए धन्यवाद दिया था और एससीओ बैठक को “उत्पादक” बताया था।
अक्साई चिन मुद्दे पर भारत का चीन को स्पष्ट संदेश
भारत ने चीन की ओर से अक्साई चिन क्षेत्र में दो नई काउंटियों (जिलों) की स्थापना पर भी कड़ा विरोध दर्ज कराया। पिछले सप्ताह, चीन ने झिंजियांग प्रांत में हेआन काउंटी और हेकांग काउंटी नामक दो नए जिले बनाने की घोषणा की थी, जो अक्साई चिन के हिस्से को कवर करते हैं। यह इलाका लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश का हिस्सा है, जिस पर चीन ने 1950 के दशक से अवैध कब्जा कर रखा है।
रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने इस इलाके पर चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है। नई काउंटियों की घोषणा हमारी संप्रभुता को प्रभावित नहीं करेगी और न ही चीन के दावों को वैधता प्रदान करेगी।” भारत ने कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से चीन के समक्ष गंभीर विरोध दर्ज कराया है।
भारत ने चीन द्वारा तिब्बत में यारलुंग त्संगपो (ब्रह्मपुत्र) नदी पर विशाल बांध बनाने की योजना पर भी चिंता जताई। जायसवाल ने कहा, “हमने चीनी पक्ष से पारदर्शिता बनाए रखने और निचले तटवर्ती देशों के हितों को प्रभावित न करने की अपील की है।”