नागपुरः महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्कूली शिक्षा में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाए जाने की योजना के खिलाफ राज्य में विपक्ष मुखर हो गया है। अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की वरिष्ठ नेता और सांसद सुप्रिया सुले ने भी खुलकर विरोध किया है। उन्होंने ऐलान किया कि 5 जुलाई को शिवसेना (उद्धव गुट) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) द्वारा आयोजित संयुक्त विरोध प्रदर्शन में उनकी पार्टी भी पूरी ताकत से हिस्सा लेगी।
मीडिया से बात करते हुए सुप्रिया सुले ने कहा, “यह हमारे लिए एक सामाजिक और गंभीर विषय है, न कि महज राजनीतिक मुद्दा। भाषा शिक्षा के क्षेत्र में जल्दबाजी नहीं की जा सकती। हमें विशेषज्ञों की सलाह से आगे बढ़ना चाहिए। कोई भी दूसरा राज्य ऐसी जबरन थोपने वाली नीति नहीं अपना रहा। मुझे समझ नहीं आता कि महाराष्ट्र सरकार इतनी जिद क्यों कर रही है। हम किसी को खुश करने के लिए बच्चों का भविष्य बर्बाद नहीं कर सकते।”
उन्होंने यह भी जोड़ा, “शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी इस प्रदर्शन में पूरी भागीदारी करेगी। शिक्षा एक मानवीय मुद्दा है और हम इसे लेकर गंभीर हैं।”
Nagpur, Maharashtra: NCP MP Supriya Sule says, "Language and education are not just political issues; they are very important social and educational matters. It is essential to understand the views and suggestions of experts and knowledgeable people in the field of language..." pic.twitter.com/FPYcLnhmoe
— IANS (@ians_india) June 28, 2025
'हम हिंदी के विरोधी नहीं, लेकिन इसे थोपना स्वीकार नहीं'
शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने भी शुक्रवार को ऐलान किया कि 5 जुलाई को मनसे और शिवसेना-उद्धव गुट मिलकर राज्य में हिंदी थोपने के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत करेंगे।
राउत ने कहा, “हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं। हमने हमेशा इसकी इज्जत की है और हमारी पार्टी खुद भी कई स्तरों पर हिंदी का उपयोग करती है। लेकिन तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य करने का निर्णय बच्चों पर अनावश्यक बोझ डालेगा। यह शैक्षणिक और भाषायी दृष्टि से अनुचित है।”
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि पहले मनसे और शिवसेना-यूबीटी द्वारा 6 और 7 जुलाई को अलग-अलग रैलियां आयोजित की जानी थीं, लेकिन उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की आपसी चर्चा के बाद इसे संयुक्त प्रदर्शन में बदल दिया गया।
अमित शाह महाराष्ट्र के राजनीतिक दुश्मनः संजय राउत
राउत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी हमला करते हुए कहा, “हम हिंदी के दुश्मन नहीं हैं, लेकिन अमित शाह महाराष्ट्र के राजनीतिक दुश्मन हैं। उन्होंने चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को तोड़ने का काम किया। फिर हम क्यों उनकी सुनें?”
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस पर निशाना साधते हुए कहा, “क्या फड़नवीस प्रधानमंत्री बनने की जल्दी में हैं, जो महाराष्ट्र में हिंदी थोपने की कोशिश कर रहे हैं? मराठी प्रेमी जनता इसे स्वीकार नहीं करेगी और सरकार को यह निर्णय वापस लेना पड़ेगा।”
अंतिम फैसला चर्चा के बादः फड़नवीस
राज्य सरकार की ओर से मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने 24 जून को सफाई देते हुए कहा था कि तीन-भाषा नीति पर अंतिम फैसला साहित्यकारों, भाषाविदों, राजनीतिक नेताओं और संबंधित पक्षों से चर्चा के बाद ही लिया जाएगा।
इस मुद्दे पर 22 जून की रात मुख्यमंत्री निवास ‘वर्षा’ में बैठक हुई, जिसमें उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे, राज्य मंत्री डॉ. पंकज भोंयार और शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल हुए थे।