नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की न्यायिक जांच करने की याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस तरह के कदमों से सेना का मनोबल गिरेगा।
इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं पर भी फटकार लगाते हुए कहा कि याचिका दायर करने से पहले मामले की "संवेदनशीलता" पर गौर किया जाना चाहिए था।
जस्टिस ने क्या कहा?
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा " ऐसी जनहित याचिकाएं दायर करने से पहले जिम्मेदारी से काम लें। आपका अपने देश के प्रति भी कुछ कर्त्तव्य है। यह वह महत्वपूर्ण समय है जब प्रत्येक भारतीय ने आतंकवाद से लड़ने के लिए हाथ मिलाया है। सुरक्षा बलों का मनोबल न गिराएं। मुद्दे की संवेदनशीलता को देखें।"
दरअसल 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाने की मांग की गई थी। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि न्यायाधीशों का काम विवादों पर काम करना है, पूछताछ करना नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे फटकार लगाते हुए कहा कि "हमें जांच की विशेषज्ञता कब से मिल गई? आप सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज से जांच के लिए कह रहे हैं। वे केवल निर्णय दे सकते हैं। हमें आदेश पारित करने के लिए मत कहिए।"
जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव जारी है। हमले के भारत की तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ कुछ कूटनीतिक कदम उठाए गए हैं। भारत ने सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से रोक लगाने की बात की थी। इसके साथ ही पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने के लिए कहा था।
इसकी प्रतिक्रिया में पाकिस्तान ने भी कुछ कदम उठाए जिनमें पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र में भारतीय विमानों की आवाजाही पर रोक लगाई गई है। इसके साथ ही पाकिस्तान ने शिमला समझौते से भी अलग होने का फैसला लिया है।
वहीं, भारत ने 16 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनल पर भी रोक लगाई है। इसके अलावा भारत के हवाई क्षेत्र में पाकिस्तानी विमानों पर भी रोक लगाई है।