कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगी सुनवाई, क्या है मामला?

इस साल मई में आरएसएस के एक सदस्य की शिकायत पर हेमंत मालवीय के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कोर्ट ने इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य माना था।

Supreme Court recommend transfer of seven judges

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भोपाल: मध्यप्रदेश के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति जताई है। यह सुनवाई 14 जुलाई को होगी। मालवीय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भगवान शिव को लेकर बनाए गए एक विवादित कार्टून के कारण मामला दर्ज हुआ था।  

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसे अब मालवीय ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मामला 2021 में कोविड काल के दौरान बनाए गए एक कार्टून से जुड़ा है जो आपत्तिजनक था।

इस साल मई में आरएसएस के एक सदस्य की शिकायत पर मालवीय के खिलाफ केस दर्ज हुआ। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 3 जुलाई को अपने आदेश में कहा कि मालवीय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया और विवादित कार्टून बनाते समय विवेक का इस्तेमाल नहीं किया।

कोर्ट ने इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का जानबूझकर किया गया कृत्य माना।

हाईकोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हेमंत मालवीय

हाईकोर्ट के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने कहा, "मालवीय ने आरएसएस, प्रधानमंत्री और भगवान शिव को अपमानजनक तरीके से चित्रित कर संविधान के तहत दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा पार की।" कोर्ट ने उनकी हिरासत में पूछताछ की जरूरत बताते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

मालवीय के वकील वृंदा ग्रोवर ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि यह कार्टून व्यंग्यात्मक था। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के मनमानी गिरफ्तारियों के खिलाफ दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया।

दूसरी ओर, सरकार के वकील ने तर्क दिया कि आरएसएस और प्रधानमंत्री को अपमानजनक तरीके से दिखाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में स्वीकार्य नहीं है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि भविष्य में भी वे ऐसा कर सकते हैं। इस कारण उन्हें जमानत का लाभ नहीं दिया गया। अब सुप्रीम कोर्ट में 14 जुलाई को होने वाली सुनवाई में मालवीय को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

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