नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के वेरिफिकेशन से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट न चुनाव आयोग से जवाब दाखिल करने को कहा है। चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने तक ईवीएम में कोई डेटा रिलोड न करें, न कोई डेटा डिलीट करें।

बता दें कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की इस याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को ईवीएम की बर्न्ट मेमोरी की जांच के लिए स्पष्ट प्रोटोकॉल बनाने के लिए कहे। ऐसे में इस मामले में बेंच ने मार्च के पहले सप्ताह में सुनवाई की बात कही है। 

EVM पर क्या बोले चीफ जस्टिस?

चीफ जस्टिस ने कहा, 'यह कोई विरोध की स्थिति नहीं है। अगर हारने वाले उम्मीदवार को कोई स्पष्टीकरण चाहिए, तो इंजीनियर यह स्पष्ट कर सकता है कि कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। वहीं, चुनाव आयोग को अब सुप्रीम कोर्ट में EVM की मेमोरी और माइक्रो कंट्रोलर डिलीट करने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी देनी होगी। इस मामले में अगली सुनवाई 3 मार्च से शुरू होने वाले हफ्ते में होगी।

26 मार्च 2024 को दिए इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि परिणाम आने के 1 सप्ताह के भीतर दूसरे या तीसरे नंबर का उम्मीदवार दोबारा जांच की मांग कर सकता है। ऐसे में इंजीनियरों की टीम किसी 5 माइक्रो कंटोलर की बर्न्ट मेमोरी की जांच करेगी। इस जांच का खर्च उम्मीदवार को उठाना होगा। अगर गड़बड़ी साबित हुई तो उम्मीदवार को पैसा वापस मिल जाएगा।

SC ने पहली रिपोर्ट का दिया हवाला 

एक रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के फैसले में कहा था कि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद प्रति विधानसभा क्षेत्र में पांच प्रतिशत ईवीएम का ईवीएम निर्माताओं के इंजीनियरों द्वारा वेरीफाई किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि वेरीफाई प्रोसेस दूसरे या तीसरे सबसे अधिक वोट हासिल करने वाले उम्मीदवारों के लिखित अनुरोध पर आयोजित की जाएगी।