नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस को नागरिक मामलों को आपराधिक मामलों में बदलने को लेकर फटकार लगाई है। उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा बार-बार ऐसा किए जाने की वजह से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इसे गलत बताते हुए कहा कि यह कानून के शासन(रूल ऑफ लॉ) को पूरी तरह ध्वस्त होने को दिखाता है।
इसके साथ ही अदालत ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को न दोहराए जाने को लेकर चेतावनी भी दी है। अदालत ने कहा है कि अगर भविष्य में ऐसे मामले आते हैं तो क्षतिपूर्ति का आदेश दिया जाएगा।
यूपी पुलिस से दो हफ्तों में मांगा जवाब
अदालत ने एक मामले पर आपराधिक अभियोजन पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस के प्रमुख प्रशांत कुमार और जांच अधिकारी से दो हफ्तों में जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने टिप्पणी की कि उत्तर प्रदेश में वकील सिविल क्षेत्राधिकार को भूल गए हैं।
एनडीटीवी की एक खबर के मुताबिक, यह मामला चेक बाउंस का है। इस मामले में पुलिस ने समन जारी कर चार्जशीट दाखिल की और सिविल मामले को आपराधिक मामले में बदल दिया। इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने अदालत का रुख किया और पुलिस पर आरोप लगाया कि वह मामलों को बदलने के लिए घूस लेती है।
उत्तर प्रदेश में यह क्या हो रहा है?
मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान कहा "यह गलत है उत्तर प्रदेश में क्या हो रहा है? हर रोज सिविल मामले आपराधिक मामलों में बदले जा रहा हैं। यह बेतुकी बात है केवल पैसा न देना अपराध नहीं कहा जा सकता। मैं जांच अधिकारी से गवाह के लिए कठघरे में आने के लिए कहूंगा। जांच अधिकारी को गवाह के कटघरे में खड़ा करके अपराध का मामला स्पष्ट करने दीजिए। हम निर्देश देते हैं, उन्हें पाठ सीखना चाहिए, यह कोई तरीका नहीं है जैसे आपने चार्जशीट फाइल की है। "
उन्होंने आगे कहा कि यह अजीब है। उत्तर प्रदेश में ऐसा हर रोज हो रहा है।
ऐसा पहली बार नहीं है जब मुख्य न्यायाधीश ने सिविल मामलों को आपराधिक मामलों में बदले जाने के ट्रेंड पर संज्ञान लिया है। बीते साल दिसंबर में भी उन्होंने कुछ राज्यों में ऐसी प्रैक्टिस पर ध्यान दिया था। उन्होंने कहा था कि सिविल मामलों को आपराधिक मामलों में बदलने से न्यायपालिका पर बोझ बढ़ता है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों को सिविल क्षेत्राधिकार के तहत निपटाया जा सकता है।