नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में मामलों की सुनवाई के लिए होने वाली लिस्टिंग में क्या कोई हेराफेरी होती है? यह सवाल सुप्रीम कोर्ट से ही आया है। दरअसल उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपनी रजिस्ट्री को एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत याचिका को समय से पहले सूचीबद्ध करने पर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। यह केस जीशान हैदर बनाम प्रवर्तन निदेशालय का है।
यह याचिका मूल रूप से 14 अक्टूबर को सुनवाई के लिए निर्धारित थी। हालांकि, बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार इसे अप्रत्याशित रूप से आज के लिए सूचीबद्ध की गई थी। मामले पर जस्टिस अभय एस ओका और पंकज मिथल की खंडपीठ इस घटनाक्रम से हैरान नजर आई। पीठ ने संभावित हेरफेर का संदेह जताया। इससे संकेत मिलता है कि कोई व्यक्ति जानबूझकर लिस्टिंग प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा है।
ऐसे में कोर्ट ने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि इस तरह की हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। कोर्ट ने कहा, ‘हम इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगे। कोई हमारी रजिस्ट्री में जा रहा है और पिछले आदेश से इतर लिस्टिंग में हेरफेर कर रहा है।’ इसके बाद कोर्ट ने रजिस्ट्री को इस अनियमितता के लिए विस्तृत स्पष्टीकरण देने का का आदेश दिया है।
वहीं, वेबसाइट लॉ ट्रेंड डॉन इन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोर्ट का यह कड़ा रुख मुद्दे की गंभीरता को रेखांकित कर रहा है। कोर्ट ने रजिस्ट्री से इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है कि इतनी महत्वपूर्ण प्रक्रियात्मक ‘चूक’ (deviation) कैसे हो सकती है।