नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 'डंकी रूट' के जरिए अमेरिका भेजने का झांसा देकर धोखाधड़ी करने के एक आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को सख्त टिप्पणी के साथ खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति उज्जल भुयां और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, “आप जैसे लोगों की वजह से भारतीय पासपोर्ट की वैश्विक साख कम हो रही है।”
'डंकी रूट' एक अवैध प्रवास प्रणाली को कहा जाता है जिसमें मानव तस्करों की मदद से व्यक्ति कई देशों से होते हुए गुप्त रूप से अमेरिका या ब्रिटेन जैसे देशों में दाखिल होता है। इस यात्रा में अत्यंत अमानवीय और खतरनाक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। पंजाबी कहावत ‘डंकी मारना’ (इधर-उधर भटकना) से प्रेरित यह शब्द अब अंतरराष्ट्रीय मीडिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों में भी उपयोग में आने लगा है।
क्या है मामला?
हरियाणा निवासी ओमप्रकाश ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने इससे पहले उसकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि शिकायतकर्ता के पिता ने गवाही दी है कि ओमप्रकाश ने उनसे ₹22 लाख की ठगी की।
एफआईआर के अनुसार, ओमप्रकाश मुख्य आरोपी का सहयोगी था, जो एक एजेंट के रूप में काम कर रहा था और शिकायतकर्ता को वैध तरीके से अमेरिका भेजने का वादा कर चुका था। इसके एवज में उससे 43 लाख रुपये लिए गए।
शिकायतकर्ता को पहले सितंबर 2024 में दुबई भेजा गया, फिर वहां से कई देशों में घुमाया गया, और अंततः उसे पनामा के जंगलों और मैक्सिको के रास्ते अमेरिका की सीमा पार कराई गई। 1 फरवरी 2025 को एजेंटों ने उसे अमेरिकी सीमा पार करवाई, लेकिन वहां उसे अमेरिकी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसे हिरासत में रखा गया और फिर 16 फरवरी 2025 को भारत वापस भेज दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस यात्रा को “अमानवीय” बताते हुए कहा कि यह केवल आर्थिक ठगी नहीं, बल्कि मानव गरिमा के साथ भी खिलवाड़ है। कोर्ट ने आरोपों को “बेहद गंभीर” बताया और अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।