दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यूएपीए के तहत एक मामले में गिरफ्तार ‘न्यूजक्लिक’ के संस्थापक और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया। पुरकायस्थ पर चीनी प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देने के आरोप थे। हालांकि, कोर्ट ने उनकी रिमांड को अवैध माना। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस उन्हें रिमांड आवेदन की प्रति उपलब्ध कराने में विफल रही।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि पुरकायस्थ को गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया गया और इसलिए उनकी रिमांड अवैध है। कोर्ट ने साफ किया कि निचली अदालत की ओर से तय की गई मुचलके की राशि को जमा करने के बाद उन्हें रिहा किया जा सकता है। पुरकायस्थ को पिछले साल अक्टूबर में चीन से अवैध फंडिंग लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वे 3 अक्टूबर 2023 से पुलिस की हिरासत में हैं। हालांकि, मामले में आरोपपत्र दायर किया जा चुका है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि पुरकायस्थ को 4 अक्टूबर, 2023 को उनके रिमांड आदेश से पहले रिमांड आवेदन की प्रति मुहैया नहीं की गई थी, जबकि इसकी लिखित जानकारी दी जानी चाहिए थी।
‘वकील को जानकारी क्यों नहीं दी गई?’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘अदालत को इस निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि लिखित रूप में गिरफ्तारी के आधार की प्रति आरोपी-अपीलकर्ता या उसके वकील को प्रदान नहीं की गई थी। नतीजतन, अपीलकर्ता इस अदालत द्वारा पंकज बंसल के मामले में दिए गए फैसले को लागू करके हिरासत से रिहाई के निर्देश का हकदार है।’ पंकज बंसल केस में कहा गया था कि पुलिस के लिए गिरफ्तारी के समय आरोपी को गिरफ्तारी का “लिखित” आधार बताना जरूरी है।
सुनवाई के दौरान 30 अप्रैल को भी अदालत ने पुरकायस्थ को उनके वकील को सूचित किए बिना सुबह 6 बजे मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने में दिल्ली पुलिस की जल्दबाजी पर भी सवाल उठाया था। कोर्ट ने गौर किया कि रिमांड आदेश पुरकायस्थ के वकील को रिमांड आवेदन दिए जाने से पहले पारित किया गया था। इस पर दिल्ली पुलिस ने तर्क दिया कि रिमांड आदेश में दर्ज समय (सुबह 6 बजे) गलत था और आरोपी के वकील को जानकारी दिए जाने के बाद बाद रिमांड आदेश पारित किया गया था। हालांकि कोर्ट ने न्यायिक आदेश में दर्ज समय को माना।
मामले में FIR में क्या कहा गया है?
इस मामले में दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि पुरकायस्थ ने पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म (पीएडीएस) के साथ मिलकर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने की साजिश रची। एफआईआर के मुताबिक ‘न्यूजक्लिक’ न्यूज पोर्टल को कथित तौर पर ‘भारत की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने’ और देश के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए चीन से बड़ी रकम मिली थी।
न्यूजक्लिक से जुड़ा ये मामला क्या है?
पिछले साल अक्टूबर में दिल्ली पुलिस ने न्यूजक्लिक से जुड़े कुछ पत्रकारों के घर पर छापेमारी की थी। इससे पहले अगस्त में अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी थी कि जिसमें जिक्र था कि न्यूजक्लिक ने चीनी प्रोपोगैंडा फैलाने के लिए एक अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम से फंडिग हासिल की हैं।
न्यूजक्लिक आरोपों का खंडन करता रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने वेबसाइट के खिलाफ मामला दर्ज किया था और फिर बाद में छापेमारी भी की गई। इस छापेमारी के दौरान पुलिस ने पत्रकारों के मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर समेत इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि को भी जब्त किया था। अक्टूबर में जिन लोगों पर कथित छापेमारी की कार्रवाई की गई थी उसमें प्रबीर पुरकायस्थ सहित पत्रकार अभिसार शर्मा, औनिंद्यो चक्रवर्ती, भाषा सिंह जैसे नाम शामिल हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली पुलिस की ओर से इस मामले में करीब 8000 पन्नों की चार्जशीट दायर की गई है। मामले में न्यूजक्लिक के एचआर विभाग के अमित चक्रवर्ती को भी गिरफ्तार किया गया था। अमित चक्रवर्ती को 6 मई को जमानत मिल चुकी है।