सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल दाखिले में NRI कोटे पर पंजाब सरकार को लगाई फटकार, कहा- ये फर्जीवाड़ा है

एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के सभी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एमबीबीएस में लगभग 185 एनआरआई कोटा सीटें और बीडीएस में 196 सीटें आरक्षित हैं।

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Supreme Court rejected petition to give menstrual leaves to women directed the Center to make model policy

सुप्रीम कोर्ट (फोटो- IANS)

चंड़ीगढ़: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की मेडिकल कॉलेज एडमिशन में एनआरआई कोटा सिस्टम की कड़ी आलोचना की है। मंगलवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इसे "फर्जीवाड़ा" करार दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है।

दरअसल, पंजाब सरकार ने एनआरआई कोटा को बढ़ाने के लिए एक अधिसूचना जारी किया था। इसमें पंजाब के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश पाने के लिए एनआरआई के दूर के रिश्तेदारों को लाभ देने का प्रावधान किया गया था। राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया गया था।

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सरकार के इस अधिसूचना को रद्द कर दिया था जिसे राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए पंजाब सरकार की याचिका पर कड़ी आपत्ति जताई है। कोर्ट ने कहा है “इस धोखाधड़ी अब खत्म किया जाना चाहिए।”

क्या है पूरा मामला

पंजाब सरकार ने 20 अगस्त को एक अधिसूचना जारी किया था जिसमें एनआरआई उम्मीदवारों की परिभाषा को विस्तार किया गया था। सरकार ने इस कोटा में एनआरआई के दूर के रिश्तेदारों को शामिल किया था और कहा गया था कि ऐसे उम्मीदवार कोटा के पात्र होंगे।

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की इस अधिसूचना को चेतावनी देते हुए खारिज किया था और कहा था कि इसका दुरुपयोग हो सकता है। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गया था और इस पर आज कोर्ट में सुनवाई भी हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने इसकी सुनवाई की है। पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले को “बिल्कुल सही” बताया है और कहा है कि इससे मेहनती उम्मीदवार व छात्र प्रभावित हो सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा है कि अगर इस कोटे के दायरे को बढ़ाया जाता है तो तीन गुना अंक लाने वाले उम्मीदवार नीट-यूजी कोर्स में प्रवेश नहीं ले पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़े सारी याचिकाओं को खारिज कर दिया है और कहा कि इस तरह का कोटा और कुछ बल्कि यह “पैसा कमाने वाली मशीन” है।

कोर्ट ने आगे कहा है कि कोटा के तहत विदेश में बसे 'मामा, ताई, ताया' के दूर के रिश्तेदारों को प्रवेश देने से मेहनती उम्मीदवारों के अधिकार प्रभावित हो रहे हैं। कोर्ट ने इसकी इजाजत नहीं देने की बात कही है और कहा है कि इसे रोका जाना चाहिए।

राज्य सरकार ने क्या तर्क दिया

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में मौजूद वकील ने तर्क दिया कि देश के अलग-अलग राज्यों में इस तरह के कोटा का पालन हो रहा है। वकील ने कहा कि हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ जैसे अन्य राज्य में एनआरआई कोटा प्रवेश के लिए इसी तरह की व्यापक परिभाषाओं का पालन किया जा रहा है।

लेकिन पंजाब में केवल इस परिभाषा में छोटा सा विस्तार किया जा रहा है।

इस पर पीठ ने कहा कि एनआरआई कोटा मूल रूप से वास्तविक एनआरआई और उनके बच्चों को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू किया गया है ताकि उन्हें भारत में शिक्षा मिलने में मदद मिल सके।

लेकिन सरकार के अधिसूचना में चाचा, चाची, दादा-दादी और चचेरे भाई-बहनों जैसे दूर के रिश्तेदारों को एनआरआई श्रेणी में शामिल किया गया है। इस कारण कोटा का मूल नीति कमजोर हो रहा है।

राज्य सरकार के तर्क पर पीठ ने क्या कहा

कोर्ट ने आगे कहा कि परिभाषा में बदलाव करने पर इसके दुरुपयोग होने की ज्यादा संभावना है। इसका फायदा वे लोग उठा सकता है जो लोग इसके सही पात्र नहीं होंगे। पीठ ने जोर देते हुए कहा कि इससे अधिक योग्य उम्मीदवार पीछे रह सकते हैं और उनका अधिकार छिन सकता है।

पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला भी शामिल थे जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रुख का समर्थन किया है और एनआरआई कोटा समाप्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह प्रवेश प्रक्रिया की अखंडता को नुकसान पहुंचा सकता है।

पारदीवाला ने जोर देकर कहा कि इस प्रणाली के कारण भारत में उच्च अंक प्राप्त करने वाले कई उम्मीदवारों को अनुचित तरीके से प्रवेश से वंचित किया जा रहा है।

एनआरआई उम्मीदवारों को मिलता है 15 फीसदी आरक्षण

मौजूदा दौर में इस सिस्टम में पंजाब में कुल सीटों के 15 फीसदी सीटें एनआरआई उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के सभी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एमबीबीएस में लगभग 185 एनआरआई कोटा सीटें और बीडीएस में 196 सीटें आरक्षित हैं।

हालांकि, पात्र उम्मीदवारों की गैर मौजूदगी के कारण इन में से अधिकतर सीट खाली ही रह जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जो लोग विदेश में बस चुके हैं उनके बेटे या फिर बेटियां भारत में आकर पढ़ाई करने में इच्छुक नहीं होते हैं।

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