नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना पर बयान देने के बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे लगातार सुर्खियों में हैं। बीजेपी सांसद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लेटर पिटिशन भी दाखिल की गई है। वहीं, बीजेपी सांसद के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर अब सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक में कहा है कि केस फाइल कीजिए, इसके लिए अनुमति की जरूरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिकाकर्ता से कहा कि उसे सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई संजीव खन्ना की आलोचना करने को लेकर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने के लिए बेंच की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। इस मामले का उल्लेख जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने किया गया।
क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
याचिकाकर्ता के वकील ने दुबे की टिप्पणियों के बारे में हाल में आए एक समाचार का हवाला दिया और कहा कि वह अदालत की अनुमति से अवमानना याचिका दायर करना चाहते हैं। जस्टिस गवई ने कहा, 'आप इसे दायर करें। दायर करने के लिए आपको हमारी अनुमति की आवश्यकता नहीं है।' इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता वकील से कहा, 'बस अटॉर्नी जनरल से अनुमति लीजिए।'
पश्चिम बंगाल हिंसा पर की सुनवाई
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार मशहूर अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का कहना था कि हिंसा पर काबू पाने के लिए बंगाल में अर्धसैनिक बलों की तैनाती होनी चाहिए। ऐसे में उन्होंने अदालत से गुजारिश की है कि वो केंद्र को सुरक्षाबलों की तैनाती करने और बंगाल हिंसा की जांच के लिए पैनल गठित करने का आदेश दे। साथ ही मुर्शिदाबाद में हिन्दुओं के पलायन की भी रिपोर्ट भी पेश की जाए। इसयाचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने कहा आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को ऐसा करने का आदेश दें? मगर हमारे ऊपर पहले ही कार्यपालिका के काम में दखलअंदाजी करने का आरोप लग रहा है। इसलिए प्लीज।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, हाल ही में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद एवं विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने सीजेआई संजीव खन्ना पर निशाना साधते हुए उन्हें देश में ‘सिविल वॉर’ के लिए जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि बीजेपी ने दुबे के बयान से खुद को अलग कर लिया। लेकिन कानून के जानकार इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के तौर देख रहे हैं।