नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नीट-यूजी 2024 पेपर में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए दोबारा परीक्षा कराने की मांग खारीज कर दी। अदालत ने नीट यूजी परीक्षा रद्द न करने के अपने फैसले के विस्तृत कारण बताए।
अदालत ने कहा कि पेपर लीक की बातों और परीक्षा में अन्य गड़बड़ियों के बावजूद ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे पता चले कि पूरा पेपर ही लीक हुआ था और पूरी परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई हो। लीक केवल पटना और हज़ारीबाग तक ही सीमित था। हालांकि कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की गलतियों पर भी ध्यान दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए को दी ये सलाह
फैसला सुनाने के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचुड़ ने कहा, “हमने कहा है कि एनटीए को अब इस मामले में अपनी उल्टी-सीधी बातों से बचना चाहिए।” अदालत ने कहा कि इस तरह के उलटफेर एक राष्ट्रीय परीक्षा में छात्रों के हित में नहीं होते हैं।
सीजेआई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया। सीजेआई ने एनटीए से यह भी सवाल किया कि उसने उम्मीदवारों को परीक्षा केंद्र बदलने की अनुमति क्यों दी और नए पंजीकरण की अनुमति देने के लिए “पिछले दरवाजे” को क्यों खोला।
बेंच ने एनटीए के 1,563 छात्रों को गलत प्रश्न पत्र मिलने के कारण समय की हानि की भरपाई के लिए अनुग्रह अंक देने के फैसले पर भी सवाल उठाए। हालांकि, बाद में इस फैसले को वापस ले लिया गया और उन छात्रों को फिर से परीक्षा देने के लिए कहा गया।
विशेषज्ञ समिति को अदालत के निर्देश
बेंच ने 22 जून को पूर्व इसरो प्रमुख के राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली केंद्र द्वारा नियुक्त समिति के दायरे का विस्तार किया और उसे कई अतिरिक्त निर्देश दिए। समिति का विस्तार एनटीए के कामकाज की समीक्षा करने और परीक्षा सुधारों की सिफारिश को लेकर किया गया।
अदालत ने विशेषज्ञ समिति से परीक्षा प्रक्रिया में कड़े जांच सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था का मूल्यांकन करने के लिए एक तंत्र का मूल्यांकन करने को कहा है। समिति को पंजीकरण, परीक्षा केंद्र बदलने और ओएमआर शीट की सीलिंग और स्टोरेज के लिए समयसीमा के बारे में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने के लिए कहा गया है।
अदालत ने समिति को इसपर 30 सितंबर, 2024 तक एक रिपोर्ट तैयार को कहा है। इसके बाद, शिक्षा मंत्रालय एक महीने में लागू किए जाने वाले कार्यक्रम तैयार करेगा और फिर दो सप्ताह के बाद अदालत को अपडेट के बारे में सूचित करेगा।
सीजेआई ने पेपर लीक को रोकने के लिए सुझाए उपाय
नीट पर फैसला लेने के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पेपरलीक रोकने के तरीके बताए। उन्होंने कहा कि मानक संचालन प्रक्रिया और परीक्षा केंद्र आवंटित करने की प्रक्रिया की समीक्षा होनी चाहिए। परिक्षा केंद्रों की सीसीटीवी से निगरानी हो। साथ ही प्रश्नपत्रों में हेराफेरी रोकने के लिए लॉजिस्टिक को सुरक्षा दी जाए।
नीटः सीबीआई ने 13 को आरोपी बनाया है
1 अगस्त को, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित नीट परीक्षा पेपर लीक मामले में पहली चार्जशीट दायर की थी जिसमें 13 लोगों को आरोपी बनाया गया है। अधिकारियों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि चार्जशीट में कहा गया है कि आरोपी कथित तौर पर पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं में शामिल थे। केंद्रीय जांच एजेंसी ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा में कथित अनियमितताओं को लेकर छह एफआईआर दर्ज की हैं।
उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 201 (साक्ष्य नष्ट करना), 409 (आपराधिक विश्वासघात), 380 (चोरी), 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना), 420 (धोखाधड़ी) और 109 (उकसाना) धाराएं लगाई गई हैं।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटाने के लिए फोरेंसिक तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक, सीसीटीवी फुटेज, टावर लोकेशन का उपयोग किया है। मामले में 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से 15 को बिहार पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इस मामले में 58 स्थानों पर तलाशी ली है। कई आरोपी अब भी पुलिस या न्यायिक हिरासत में हैं। जांच फिलहाल जारी है।
नीट-यूजी के बारे में
नीट-यूजी का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा किया जाता है। इसमें प्राप्त रैंकिंग के आधार पर देश के सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग होती है। इस साल यह परीक्षा 5 मई को 571 शहरों के 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी, जिनमें 14 विदेशी शहर भी शामिल थे। इस परीक्षा में 23 लाख से ज़्यादा उम्मीदवार शामिल हुए थे।