संभलः बुलडोजर कार्यवाई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट जाने का दिया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट में संभल में एक फैक्ट्री को गिराए जाने के मामले में एक याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि बिना नोटिस के उसकी फैक्ट्री गिराई गई है।

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बुलडोजर कार्यवाई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने संभल में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है और याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा है। 

संभल के निवासी मोहम्मद गयूर ने बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि देश भर में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर पिछले साल नवंबर में दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवहेलना करके उनकी फैक्ट्री को ढहा दिया गया।

बिना नोटिस के की गई कार्यवाई

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि संभल प्रशासन ने बुलडोजर कार्रवाई से पहले न तो उन्हें कोई नोटिस दिया और न ही अपना पक्ष रखने का मौका दिया। इस याचिका में संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया, एसडीएम, सीडीओ और तहसीलदार को पक्षकार बनाकर उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई थी।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में बुलडोजर एक्शन को असंवैधानिक और गैर-कानूनी बताते हुए कहा था कि घर हर किसी का सपना होता है और उस सपने को नहीं तोड़ा जाना चाहिए।

आवास का अधिकार हर किसी के मूल अधिकार का हिस्सा होता है। बुलडोजर कार्रवाई से पहले नोटिस दिया जाना चाहिए। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि नोटिस के 15 दिन के अंदर कोई भी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। इस बीच, संबंधित पक्ष को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका दिया जाना चाहिए। उसने कहा कि अगर निर्धारित प्रक्रिया पूरी किए बगैर बुलडोजर एक्शन होगा, तो संबंधित अधिकारियों से हर्जाना भी वसूला जाएगा।

(यह खबर आईएएनएस समाचार एजेंसी की फीड द्वारा प्रकाशित है। इसका शीर्षक बोले भारत न्यूज डेस्क द्वारा दिया गया है।)

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