नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शायर इमरान प्रतापगढ़ी पर एफआईआर दर्ज करने पर गुजरात पुलिस को फटकार लगाई है। गुजरात पुलिस ने प्रतापगढ़ी की सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई कविता 'ऐ खून के प्यासे बात सुनो' पर एफआईआर दर्ज की थी। 

इस मामले में शीर्ष अदालत ने दिए गए तर्क पर सवाल उठाया और इस बात का संकेत दिया कि वह आगे की कार्यवाही को रद्द कर देगी। इसके साथ ही अदालत ने संविधान द्वारा दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी सही ठहराया।

अदालत ने कहा कि संविधान को अपनाए हुए 75 साल हो गए हैं। वहीं, पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने पर अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा है कि पुलिस को पता होना चाहिए कि अभिव्यक्ति और भाषण की स्वतंत्रता क्या है? 

जामनगर में दर्ज कराई गई थी एफआईआर

दरअसल, इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ गुजरात के जामनगर में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। प्रतापगढ़ी के खिलाफ समाज शत्रुता और राष्ट्रीय अखंडता को नुकसान पहुंचाने की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। 

शिकायतकर्ता ने इंस्टाग्राम पर डाले गए वीडियो को लेकर सवाल उठाया था जिसमें बैकग्राउंड में कविता सुनाई दे रही थी। शिकायतकर्ता ने इसे उत्तेजक करार दिया था। 

हालांकि, शुरुआती सुनवाइयों के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इन चिंताओं को खारिज किया था कि यह कविता किसी भी धर्म को टार्गेट नहीं करती है और अहिंसा का संदेश देती है। 

गुजरात हाई कोर्ट को भी लगाई फटकार

इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने गुजरात हाई कोर्ट को भी फटकार लगाई है। गुजरात हाई कोर्ट ने इस मामले में इमरान प्रतापगढ़ी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। 

इसके साथ ही अदालत ने राज्य के वकीलों से कहा " कविता को अपने मन में सोचो। अंततः रचनात्मकता भी जरूरी है। "

इससे पहले प्रतापगढ़ी ने तर्क दिया था कि उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर राजनीति से प्रेरित थी और यह उत्पीड़न को बढ़ाती है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम संरक्षण जनवरी में दे दिया था।