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नई दिल्लीः स्नातक छात्रों के लिए अब अपने कोर्स तीन या चार साल की तय समय सीमा से पहले या बाद में पूरा करने की सुविधा होगी। यह सुविधा हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के फैसले के तहत दी गई है। छात्र चाहें तो तेज गति से कोर्स पूरा करें या अधिक समय लेकर पढ़ाई करें, उन्हें मानक समय सीमा के छात्रों के समान ही डिग्री दी जाएगी, बशर्ते सभी शैक्षणिक आवश्यकताएं पूरी हों। उच्च शिक्षण संस्थान इस नई सुविधा को शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू कर सकते हैं।
क्या है एडीपी और ईडीपी कार्यक्रम?
यूजीसी ने इसके लिए दो कार्यक्रम निर्धारित किए हैं- 'त्वरित डिग्री कार्यक्रम' (एडीपी) और 'विस्तारित डिग्री कार्यक्रम' (ईडीपी)। इसके तहत छात्र पहले या दूसरे सेमेस्टर के अंत में इन्हें चुन सकते हैं। ए़डीपी में शामिल छात्र वही पाठ्यक्रम अपनाएंगे और तीन या चार साल के यूजी कार्यक्रम के लिए आवश्यक क्रेडिट्स प्राप्त करेंगे। हालांकि, वे एडीपी का चयन करने के बाद अतिरिक्त क्रेडिट्स अर्जित करके अपना कोर्स पहले पूरा कर सकते हैं।
इस योजना के अनुसार, एक तीन साल का कोर्स पांच सेमेस्टर में पूरा किया जा सकता है, जबकि सामान्य रूप से इसे छह सेमेस्टर में पूरा किया जाता है (यानी एक सेमेस्टर कम)। चार साल का कोर्स छह या सात सेमेस्टर में पूरा किया जा सकता है, जबकि सामान्य रूप से यह आठ सेमेस्टर में होता है। वहीं, जो छात्र ईडीपी का चयन करेंगे, वे कम क्रेडिट्स प्राप्त करेंगे और अपना कोर्स अधिक समय में पूरा करेंगे। उनका कोर्स अधिकतम दो सेमेस्टर तक बढ़ाया जा सकता है।
एडीपी और ईडीपी का उद्देश्य और लाभ
इंडियन एक्सप्रेस ने यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार के हवाले से बताया है कि यह प्रणाली छात्रों को उनके शैक्षिक और मानसिक क्षमताओं के अनुरूप त्वरित या विस्तारित कार्यक्रमों के माध्यम से यूजी कोर्स पूरा करने की सुविधा प्रदान करती है। जगदीश कुमार के अनुसार, "एडीपी बेहतर प्रदर्शन करने वाले छात्रों को तेजी से अपनी डिग्री पूरी करने का मौका देता है, जिससे वे जल्दी कार्यबल में प्रवेश कर सकते हैं या उच्च अध्ययन के लिए तैयार हो सकते हैं। वहीं, ईडीपी उन छात्रों को अधिक समय देता है जो शैक्षणिक चुनौतियों का सामना करते हैं, ताकि वे बिना तनाव के अपनी डिग्री पूरी कर सकें।"
कैसे लागू होंगे ये कार्यक्रम?
यूजीसी द्वारा मंजूरी प्राप्त मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार, उच्च शिक्षण संस्थानों को एक समिति बनानी होगी, जो एडीपी और ईडीपी के लिए आवेदन पत्रों की जांच करेगी और छात्रों का चयन करेगी। यह समिति छात्रों की पहली या दूसरी सेमेस्टर में प्राप्त प्रदर्शन के आधार पर उनकी "क्रेडिट पूरा करने की क्षमता" का मूल्यांकन करेगी। संस्थान एडीपी छात्रों के लिए स्वीकृत क्षमता का 10% तक हिस्सा निर्धारित कर सकते हैं।
ईडीपी के लिए कोई सीमा न होने पर यूजीसी अध्यक्ष ने कहा, "कमजोर शैक्षिक प्रदर्शन वाले छात्रों को अवधारणाओं को समझने और लागू करने में अधिक समय की आवश्यकता होती है। ईडीपी उन्हें कम क्रेडिट्स लेने का मौका देता है, जिससे वे बिना भारी कार्यभार के, प्रत्येक कोर्स पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।" समिति यह भी तय करेगी कि एडीपी और ईडीपी के तहत प्रत्येक सेमेस्टर में छात्रों को न्यूनतम कितने क्रेडिट्स प्राप्त करने होंगे, जो यूजीसी के पाठ्यक्रम और क्रेडिट ढांचे के आधार पर होंगे।
क्या परीक्षाएं या डिग्रियां अलग होंगी?
एडीपी और ईडीपी के तहत परीक्षाएं सामान्य तीन-या चार साल के यूजी कार्यक्रमों की तरह ही होंगी। एसओपी के अनुसार, सरकारी विभाग, निजी संगठन और भर्ती एजेंसियां एडीपी और ईडीपी डिग्रियों को सामान्य अवधि में पूरी की गई डिग्रियों के समान मानेंगी। यह भी कहा गया है कि डिग्री में यह उल्लेख होना चाहिए कि शैक्षिक आवश्यकताएं संक्षिप्त या विस्तारित अवधि में पूरी की गई हैं।
कब से शुरू होंगे ये विकल्प और संस्थान कैसे तैयारी करेंगे?
यूजीसी के अध्यक्ष ने बताया कि उच्च शिक्षण संस्थान 2025-26 के शैक्षणिक वर्ष में जुलाई-अगस्त सत्र से एडीपी और ईडीपी की पेशकश शुरू कर सकते हैं। यह संस्थानों पर निर्भर करेगा कि वे इन कार्यक्रमों को लागू करना चाहते हैं या नहीं। उन्होंने कहा, संस्थाएं यूजीसी की मंजूरी का लाभ उठाकर ऑनलाइन या हाइब्रिड मोड में पाठ्यक्रम पेश कर सकती हैं, जिससे एडीपी या ईडीपी छात्रों को अपनी गति से अधिक या कम क्रेडिट्स लेने की सुविधा मिल सकती है। इसके अलावा, एडीपी छात्रों के लिए अतिरिक्त कक्षाएं मानक समय के बाहर निर्धारित की जा सकती हैं।
जगदीश कुमार ने यह भी सुझाव दिया कि एडीपी छात्र पहले से उपलब्ध पोस्टग्रेजुएट या एडवांस्ड अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं, जिससे वे अपनी क्रेडिट आवश्यकताओं को अधिक प्रभावी ढंग से पूरा कर सकते हैं। उच्च शिक्षण संस्थान एक इंटर-सेमेस्टर टर्म (जैसे समर या विंटर) भी पेश कर सकते हैं, जिससे एडीपी छात्र अतिरिक्त कोर्स ले सकें। इससे नियमित सेमेस्टर संरचना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।