सांकेतिक तस्वीर। Photograph: (आईएएनएस)
कोटाः सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोटा में बढ़ते छात्र आत्महत्या मामलों को लेकर राजस्थान सरकार को फटकार लगाए महज तीन दिन ही बीते थे कि एक और छात्रा ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। मृतका का नाम जीशान बताया जा रहा है जो जम्मू-कश्मीर की रहने वाली थी। 18 वर्षीय जीशान ने कोटा के एक छात्रावास में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।
यह इस साल की 15वीं और मई महीने की दूसरी आत्महत्या की घटना है।
पुलिस के मुताबिक, जीशान कोटा के प्रताप चौराहा इलाके में एक पेइंग गेस्ट रूम में रहती थी। घटना से पहले उसने अपने एक रिश्तेदार बुरहान से फोन पर बातचीत की और कहा कि वह आत्महत्या कर सकती है। कॉल कटते ही बुरहान ने तत्काल उसी इमारत में ऊपर के माले पर रह रही एक अन्य छात्रा को फोन कर जीशान की हालत देखने को कहा।
जब छात्रा नीचे आई तो जीशान का कमरा अंदर से बंद था। दरवाजा तोड़ने पर वह बेहोशी की हालत में मिली। बाद में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने यह भी बताया कि जीशान के कमरे में पंखे पर ‘एंटी-हैंगिंग डिवाइस’ (जिसे आत्महत्या रोकने के लिए पंखे के चारों ओर लगाया जाता है) नहीं लगा था।
गौरतलब है कि इससे पहले 3 मई को भी मध्य प्रदेश की एक नीट (NEET) की छात्रा ने कोटा में आत्महत्या कर ली थी। छात्रों के इन आत्महत्याओं को लेकर तीन दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को फटकार लगाई थी।
तीन दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई थी फटकार
छात्र आत्महत्याओं को लेकर चिंता जाहिर करते हुए न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि वर्ष 2025 में अब तक कोटा में 14 छात्रों ने आत्महत्या की है, जो अत्यंत चिंताजनक है।
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने नाराजगी जताते हुए राजस्थान सरकार से पूछा कि सिर्फ कोटा में ऐसा क्यों हो रहा है? राज्य के तौर पर आप क्या कर रहे हैं? ये बच्चे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं। कोर्ट ने पूछा था कि क्या आपने कभी इस पर गंभीरता से विचार किया? इस पर राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि इन आत्महत्या मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट छात्र आत्महत्या से जुड़े दो मामलों को सुनवाई की। पहला मामला IIT खड़गपुर के एक 22 वर्षीय छात्र की आत्महत्या से जुड़ा था, जिसकी लाश 4 मई को उसके हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटकी मिली थी। दूसरा मामला कोटा में अपने माता-पिता के साथ रह रही एक नीट की तैयारी कर रही छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत से संबंधित था।
नीट छात्रा के संबंध में कोर्ट को बताया गया कि वह नवंबर 2024 से संस्थान के हॉस्टल में नहीं रह रही थी और अपने माता-पिता के साथ रहती थी। इस पर अदालत ने कहा कि पुलिस का कर्तव्य था कि वह स्वत: एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करती, लेकिन संबंधित थाने के प्रभारी अधिकारी ने अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने कोटा के प्रभारी पुलिस अधिकारी को 14 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है और आत्महत्या के मामलों में लापरवाही पर स्पष्ट स्पष्टीकरण मांगा है।