नई दिल्लीः दिल्ली स्थित अंबेडकर विश्वविद्यालय में एक छात्र को कथित तौर पर कुलपति के गणतंत्र दिवस भाषण की आलोचना करने पर निलंबित किया गया है। निलंबित किया गया छात्र विश्वविद्यालय में एम.ए. का छात्र है। छात्र पर आरोप है कि उसने कथित तौर पर कुलपति अनु सिंह लाठर के भाषण की आलोचना की थी।
निलंबित किया छात्र ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन यानी आइसा का कार्यकर्ता है। उसे छह महीने के लिए निलंबित किया गया है। इसके साथ ही इस दौरान उसे परिसर में आने पर भी रोक लगाई गई है।
प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने जारी किया आदेश
इस संबंध में प्रॉक्टोरियल बोर्ड द्वारा एक आदेश पारित किया गया है जिसके मुताबिक, विश्वविद्यालय ने छात्र पर अनुशासनहीनता और संस्था प्रमुख के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल का आरोप लगाया। इसी साल जनवरी में छात्र का ई-मेल विश्वविद्यालय की आधिकारिक मेल सुविधा पर साझा किया गया था।
आदेश में यह भी कहा गया था कि बोर्ड के सदस्यों के साथ बातचीत में इस मामले में छात्र की प्रतिक्रिया "गैर माफीपूर्ण" पाई गई।
छात्र संगठन आइसा ने भी छात्र के निलंबन पर शनिवार को प्रतिक्रिया दी और निलंबन को तुरंत वापस लेने की मांग की। आइसा ने विश्वविद्यालय के इस कदम को लोकतांत्रिक और शैक्षणिक अधिकारों का हनन बताया है। इसके साथ ही संगठन ने कुलपति के भाषण को स्पष्ट रूप से जातिवादी और सांप्रदायिक प्रकृति का बताया है।
रामजन्मभूमि आंदोलन का किया था जिक्र
गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस के भाषण में कुलपति ने राम जन्मभूमि आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा था कि यह मामला 525 साल पुराना है। यह कोई नया मुद्दा नहीं है। कुलपति ने मंदिर स्थापना की सराहना की और डॉ. भीमराव अंबेडकर को दलित समुदाय तक सीमित रखने की बजाय राष्ट्रीय व्यक्ति बनाने का आह्वान किया।
छात्र के निलंबन के बाद छात्रों में बवाल मच गया। इसके बाद प्रशासन ने अपना कार्रवाई का बचाव किया। विश्वविद्यालय ने इस सिलसिले में एक बयान जारी किया जिसके मुताबिक, प्रॉक्टोरियल बोर्ड किसी भी अनुशासनहीनता के मामले में एक समान दृष्टिकोण अपनाता है। जारी बयान में कहा गया कि इस दौरान प्रशासन किसी भी परिस्थिति या पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना समान कदम उठाता है।
हालांकि, आइसा ने कहा है कि वह सोमवार को कुलपति के कार्यालय के बाहर आंदोलन करेंगे। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, जब इस बारे में कुलपित अनु सिंह लाथर से संपर्क किया गया तो उन्होंने प्रशासन का हवाला देते हुए कहा कि वह भाषण में कही गई बातों पर कायम हैं।