Photograph: (IANS)
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर "शून्य टैरिफ" का ऑफर दिया है। इस बीच उन्होंने एप्पल कंपनी की भारत में मैन्यूफैक्चरिंग को लेकर अपनी नाराजगी भी जाहिर की, जहां उन्होंने कंपनी से साफतौर पर कहा कि वह नहीं चाहते कि कंपनी अपनी मैन्यूफैक्चरिंग भारत में करे। भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर बात चल रही है, और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस पर समझौता भी हो जाएगा। वहीं, अब इसपर विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान सामने आया है।
एस जयशंकर ने कहा, 'भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता चल रही है। ये जटिल वार्ताएं हैं। जब तक सब कुछ तय नहीं हो जाता, तब तक कुछ भी तय नहीं होता। कोई भी व्यापार सौदा परस्पर लाभकारी होना चाहिए; इसे दोनों देशों के लिए कारगर होना चाहिए। व्यापार सौदे से हमारी यही अपेक्षा होगी। जब तक ऐसा नहीं हो जाता, इस पर कोई भी निर्णय जल्दबाजी होगी।'
क्या बोले एस जयशंकर?
उन्होंने आगे कहा, 'किसी भी व्यापार समझौते को पारस्परिक रूप से लाभकारी होना चाहिए; यह दोनों देशों के लिए फ़ायदेमंद होना चाहिए। व्यापार समझौते को लेकर हमारी यही अपेक्षा होगी। जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, उस पर कोई भी जजमेंट देना समय से पहले होगा।'
पाकिस्तान से केवल आतंकवाद और PoK खाली करने पर होगी बात
होंडुरास के दूतावास के उद्घाटन के अवसर पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के पास आतंकवादियों की एक सूची है जिसे उसे हमें सौंपना होगा। साथ ही उसे आतंकियों के बुनियादी ढांचे को बंद करना होगा। वे जानते हैं कि क्या करना है। हम उनके साथ आतंकवाद के बारे में चर्चा करने के लिए तैयार हैं। ये वे वार्ताएं हैं जो संभव हैं।
उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि स्थगित है और तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को रोका नहीं जाता। कश्मीर पर चर्चा के लिए केवल एक ही बात बची है, वह है पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना। हम इस चर्चा के लिए तैयार हैं।
संघर्ष विराम को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि यह साफ है कि गोलीबारी बंद करने की मांग कौन कर रहा था। हमने आतंकी ढांचे को नष्ट करके जो लक्ष्य निर्धारित किए थे, उन्हें हासिल कर लिया है। ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत में ही हमने पाकिस्तान को यह संदेश भेज दिया था कि हम आतंकी ढांचे पर हमला कर रहे हैं, न कि सेना पर और सेना के पास यह विकल्प है कि वह अलग खड़ी रहे और हस्तक्षेप न करे।