गृहमंत्री अमित शाह। Photograph: (एआई इमेज)
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने विदेशी फंड प्राप्त करने वाले गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के लिए नियमों को और अधिक कड़ा कर दिया है। गृह मंत्रालय (MHA) ने स्पष्ट किया है कि जो एनजीओ प्रकाशन से संबंधित गतिविधियों में शामिल हैं और विदेशों से योगदान प्राप्त करते हैं, वे किसी भी प्रकार का समाचारपत्र या समाचार-सामग्री आधारित पत्रिका तभी प्रकाशित कर सकेंगे जब उनके पास "यह समाचारपत्र नहीं है" का प्रमाणपत्र भारतीय समाचारपत्र रजिस्ट्रार (RNI) से प्राप्त हो।
यह नियम विदेशी अंशदान (नियमन) अधिनियम (FCRA) के तहत पंजीकरण कराने वाले सभी एनजीओ पर लागू होगा।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, एफसीआरए नियमों में संशोधन करते हुए कहा गया है कि अब विदेशी फंडिंग की अनुमति मांगने वाले संगठनों को यह शपथपत्र देना होगा कि वे वैश्विक संस्था FATF (Financial Action Task Force) के उत्तम कार्यप्रणाली दिशानिर्देश (Good Practice Guidelines) का पूर्णतः पालन करेंगे। FATF आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर निगरानी रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था है।
तीन वर्षों के वित्तीय दस्तावेज अनिवार्य
एफसीआरए के तहत पंजीकरण हेतु आवेदन करने वाले सभी संगठनों को पिछले तीन वित्तीय वर्षों के लेखा परीक्षण रिपोर्ट, आय-व्यय विवरण, रसीद और भुगतान विवरण, परिसंपत्तियों और दायित्वों का लेखा-जोखा अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करना होगा। यदि इन दस्तावेजों में गतिविधि-वार खर्च का उल्लेख नहीं है, तो चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा प्रमाणित, गतिविधि-वार व्यय का विवरण भी देना होगा, जो आय-व्यय और रसीद-पेमेंट खाते से मेल खाता हो।
यदि किसी संगठन की गतिविधियों में प्रकाशन शामिल है, जैसा कि उसके मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन या ट्रस्ट डीड में दर्ज है, तो उस संगठन के प्रमुख अधिकारी को यह शपथ देनी होगी कि वह एफसीआरए 2010 के सभी प्रावधानों का पालन करेगा। अगर संगठन का कोई प्रकाशन आरएनआई में पंजीकृत है, तो उसे "Not a Newspaper" प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना आवश्यक होगा।
पंजीकरण समाप्त होने पर भी देनी होगी जानकारी
यदि किसी एनजीओ का एफसीआरए पंजीकरण पहले समाप्त हो चुका है या रद्द कर दिया गया है, तो उसे एक शपथपत्र देना होगा जिसमें यह जानकारी हो कि समाप्ति या रद्दीकरण के बाद प्राप्त विदेशी अंशदान का किस प्रकार उपयोग किया गया।
अगर पिछले तीन वित्तीय वर्षों में संस्था का खर्च 15 लाख रुपये से कम है, तो पूंजीगत व्यय की जानकारी भी शपथपत्र में देनी होगी।
दानदाता से वचन-पत्र और खर्च का पूरा ब्यौरा अनिवार्य
गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि विदेशी अंशदान प्राप्त करने की अनुमति चाहने वाले संगठनों को दानदाता का कमिटमेंट लेटर देना होगा, जिसमें दान की गई राशि स्पष्ट रूप से उल्लिखित हो। इसके साथ ही प्रस्तावित परियोजना की पूरी रिपोर्ट, खर्च का विस्तृत विवरण और यह घोषणा भी आवश्यक है कि प्रशासनिक खर्च कुल अंशदान का 20% से अधिक नहीं होगा।
सरकार ने दोहराया कि कोई भी एनजीओ तभी विदेशी अंशदान प्राप्त कर सकता है जब उसके पास स्पष्ट सांस्कृतिक, शैक्षणिक, धार्मिक, आर्थिक या सामाजिक कार्यक्रम हो। साथ ही, बिना केंद्र सरकार से अनुमति या पंजीकरण प्राप्त किए, कोई भी संगठन विदेशी फंड को न तो प्राप्त कर सकता है और न ही उसका उपयोग कर सकता है।