नई दिल्लीः वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने सोमवार को सरकार से जल्द से जल्द जनगणना कराने की मांग की। उन्होंने दावा किया कि देश में लगभग 14 करोड़ लोग खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिलने वाले लाभ से वंचित हो रहे हैं।

राज्यसभा में अपने पहले शून्यकाल भाषण में सोनिया गांधी ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के लाभार्थियों की पहचान 2011 की जनगणना के आधार पर की जा रही है, जबकि देश की जनसंख्या अब कहीं अधिक हो चुकी है।

कांग्रेस नेता ने सितंबर 2013 में यूपीए सरकार द्वारा लागू किए गए NFSA को एक ऐतिहासिक पहल बताया, जिसका उद्देश्य 140 करोड़ की आबादी को खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

उन्होंने कहा कि यह कानून विशेष रूप से कोविड-19 संकट के दौरान लाखों गरीब परिवारों को भुखमरी से बचाने में अहम साबित हुआ।

2011 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित है कोटा

सोनिया गांधी ने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत ग्रामीण आबादी का 75 प्रतिशत और शहरी आबादी का 50 प्रतिशत हिस्सा कवर किया जाता है, जो 2011 की जनगणना के अनुसार 81.35 करोड़ लोगों तक सीमित है। फिलहाल, सरकार प्रत्येक लाभार्थी को प्रति माह 5 किलो मुफ्त अनाज उपलब्ध करा रही है।

चार साल से लंबित जनगणना पर उठाए सवाल

सोनिया गांधी ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार दशकव्यापी जनगणना चार साल से अधिक समय से लंबित है। इसे 2021 में पूरा किया जाना था, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि इसे कब आयोजित किया जाएगा।

सोनिया गांधी ने बजट आवंटन का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार इस वर्ष भी जनगणना कराने के मूड में नहीं है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "इस देरी के कारण 14 करोड़ पात्र भारतीय अपने हक के खाद्य सुरक्षा लाभों से वंचित हो रहे हैं।"

'खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं, यह मौलिक अधिकार'

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार से जल्द से जल्द जनगणना पूरी करने और सभी योग्य नागरिकों को NFSA के तहत लाभ सुनिश्चित करने की अपील की। उन्होंने कहा, "खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि यह एक मौलिक अधिकार है।"

गौरतलब है कि सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत मुफ्त अनाज वितरण की अवधि 1 जनवरी 2024 से अगले पांच वर्षों तक बढ़ा दी है।