हाथरस भगदड़ कांड पर SIT की 300 पन्नों की रिपोर्ट में 'भोले बाबा' का जिक्र नहीं, 6 अधिकारी निलंबित

रिपोर्ट को एडिशनल डीजी (आगरा जोन) अनुपम कुलश्रेष्ठ और अलीगढ़ कमिश्नर चैत्रा वी ने तैयार किया है।

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Hathras Incident: Who is 'Vishwa Hari Bhole Baba' in whose satsang at least 116 people lost their lives due to stampede?

सूरज पाल जाटव उर्फ भोले बाबा (फाइल फोटो- IANS)

हाथरसः उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड पर एसआईटी ने 300 पन्नों की जांच रिपोर्ट पेश की है। इसमेंं भगदड़ के पीछे मुख्य कारण भीड़भाड़ को बताया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सत्संग में 2 लाख से अधिक लोग पहुंचे थे, जबकि अधिकारियों ने करीब 80,000 लोगों के लिए अनुमति मांगी थी।

रिपोर्ट में बताया गया है कि आयोजक मंडल से जुड़े लोग अव्यवस्था फैलाने के दोषी पाए गए हैं। इनके द्वारा जिन लोगों को बिना विधिवत पुलिस वेरिफिकेशन के जोड़ा गया, उनसे अव्यवस्था फैली। आयोजक मंडल द्वारा पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया गया। स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल पर निरीक्षण से रोकने का प्रयास किया गया।

रिपोर्ट में 125  लोगों के बयान दर्ज

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, रिपोर्ट में 125  लोगों के बयान दर्ज किए किए गए हैं। जिसमें हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट आशीष कुमार, पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल, उप मंडल मजिस्ट्रेट और अन्य के बयान भी शामिल हैं। इसके अलावा प्रभावित परिवारों के बयान भी शामिल किए गए हैं। इससे पहले उत्तर प्रदेश न्यायिक आयोग की टीम ने हाथरस भगदड़ मामले में कई चश्मदीदों के बयान दर्ज किए थे। हालांकि रिपोर्ट में सूरज पाल (भोले बाबा) का जिक्र नहीं है।

रिपोर्ट को एडिशनल डीजी (आगरा जोन) अनुपम कुलश्रेष्ठ और अलीगढ़ कमिश्नर चैत्रा वी ने तैयार किया है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दुखद घटना के तुरंत बाद एसआईटी जांच के आदेश दिए थे। एसआईटी ने भगदड़ के कारणों का पता लगाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों, कार्यक्रम आयोजकों और स्वयंसेवकों (सेवादारों) से पूछताछ की।

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बाबा का राजनीतिक कनेक्शन आया सामने

रिपोर्ट में कुछ ऐसे राजनीतिक नेताओं की पहचान की गई है, जिनका चुनाव के दौरान 'भोले बाबा' के साथ महत्वपूर्ण संबंध था, साथ ही अन्य प्रासंगिक कनेक्शन भी थे।  कार्यक्रम में उपस्थित स्थानीय नेताओं, सेवादारों, आयोजकों और अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाया गया है, क्योंकि वे भीड़ का सही अनुमान लगाने में विफल रहे।

इस बीच, बाबा के वकील एपी सिंह ने दावा किया कि यह दुर्घटना कुछ अज्ञात लोगों द्वारा कार्यक्रम के दौरान जहर छिड़कने के कारण हुई। सिंह ने दावा किया कि भगदड़ मचाने के बाद साजिशकर्ताओं का समूह कार्यक्रम स्थल से भाग गया।  न्यूज 18 से बात करते हुए एपी सिंह ने कहा कि नारायण सरकार (भोले बाबा)  वहां से 35 मिनट पहले जा चुके थे, उसके बाद यह घटना हुई। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से साजिश थी।

हालांकि एसआईटी ने अब तक हुई जांच व कार्यवाही के आधार पर हादसे के पीछे किसी बड़ी साजिश से भी इनकार नहीं किया है और गहन जांच की जरूरत बताई है। समिति ने कार्यक्रम आयोजक तथा तहसील स्तरीय पुलिस व प्रशासन को भी दोषी पाया है। स्थानीय एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज अपने दायित्व का निर्वहन करने में लापरवाही के लिए जिम्मेदार हैं।

जांस समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ ने बिना कार्यक्रम स्थल का मुआयना किए ही आयोजन की अनुमति प्रदान कर दी। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों इसकी जानकारी भी नहीं दी। रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिकारियों ने कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया और इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों नहीं दी।

6 अधिकारी निलंबित

एसआईटी ने संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की थी जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ, पुलिस क्षेत्राधिकारी सिकन्दराराऊ, थानाध्यक्ष सिकन्दराराऊ, तहसीलदार सिकन्दराराऊ, चौकी इंचार्ज कचौरा एवं चौकी इंचार्ज पोरा को निलंबित कर दिया।

एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सत्संग के आयोजकों ने भीड़ को बिना सुरक्षा प्रबंध के आपस में मिलने की छूट दी। भारी भीड़ के चलते यहां किसी प्रकार की बैरिकेडिंग अथवा पैसेज की व्यवस्था नहीं बनाई गई थी और दुर्घटना घटित होने पर आयोजक मंडल के सदस्य घटना स्थल से भाग गए।

मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर का नाम

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट में बताया गया है कि मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर कार्यक्रम से संबंधित धन उगाही गतिविधियों के लिए राजनीतिक दलों के संपर्क में था। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश भी दिए हैं, जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बृजेश कुमार श्रीवास्तव कर रहे हैं। वहीं जांच टीम में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हेमंत राव और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी भावेश कुमार सिंह भी शामिल हैं।

2 जुलाई को हुए हाथरस भगदड़ में 123 लोगों की मौत हो गई थी। मामले में मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर को 5 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले 6 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। 6 जुलाई को फरार चल रहे सूरज पाल जाटव उर्फ भोले बाबा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। उसी दिन समाचार एजेंसी एएनआई से बाबा ने हाथरस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा था कि उपद्रवी बख्शे नहीं जाएंगे। उसने पीड़ित परिवारों की मदद करने और प्रशासन पर भरोसा बनाए रखने की बात कही।

 

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