शिलांग: मेघालय उच्च न्यायालय ने हाल ही में राज्य भर के मंदिरों और रिटेल स्टोरों में सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) पर प्रतिबंध लगा दिया है। पीठ का नेतृत्व करने वाले मुख्य न्यायाधीश एस वैद्यनाथन ने इस बैन को मंदिर जैसे पवित्र स्थान से शुरू करने की बात कही है।
कोर्ट ने कहा है कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि मंदिर में कोई भी प्लास्टिक लेकर न जाए। इस बैन को लागू कराने के लिए सीसीटीवी कैमरों का भी इस्तेमाल होना चाहिए और इस पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए।
अदालत ने दुकानों को प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग या फिर उसके स्टोर को बंद करने का भी निर्देश दिया है। सख्त निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा है कि अगर जो कोई दुकानदार बार-बार इस नियम को तोड़ता है और अपने यहां प्लास्टिक को रखता है तो उस पर भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा।
नियमों के बार-बार उल्लंघन पर दुकानों को सील भी कर दिया जाएगा। अदालत ने यह भी कहा है कि दुकानों में नियमित निरीक्षण किया जाए और मेघालय सरकार से प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों पर पर्याप्त जुर्माना लगाने पर भी जोर दिया जाए।
कोर्ट ने सिंगल यूज प्लास्टिक के संभावित विकल्प के रूप में टेट्रा पैक के डिब्बों को इस्तेमाल करने का सूझाव दिया है।
साल 2022 तक पूरी तरह से खत्म हो जाएगा प्लास्टिक-पीएम मोदी
भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक पर यह प्रतिबंध कोई नई पहल नहीं है। जून 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह घोषणा की थी है कि साल 2022 तक भारत से सिंगल यूज प्लास्टिक पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
पीएम के ऐलान के बाद पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगा दिया था। यह बैन एक जुलाई 2022 से प्रभावी है।
हाल के सालों में एसयूपी में हुई है तेजी
प्लास्टिक वेस्ट मेकर्स इंडेक्स 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 और 2021 के बीच वैश्विक एकल उपयोग प्लास्टिक कचरे में छह मिलियन (छह करोड़) मीट्रिक टन की वृद्धि हुई है।
हालांकि प्लास्टिक रीसाइक्लिंग पर भी काम किया जा रहा है कि लेकिन जितनी संख्या में प्लास्टिक के कचरे निकल रहे हैं उससे बहुत कम ही इसकी रीसाइक्लिंग हो पा रही है। हाल के वर्षों में धीमी गति से ही सही, सिंगल यूज प्लास्टिक की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
भारत प्रतिदिन लगभग 26 हजार टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है जो लगभग 26 हजार छोटी कारों के वजन के बराबर है।
भारत में क्या कदम उठाया गया है
भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक का मुद्दा काफी गंभीर बना हुआ है। सीएसई रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया में एसयूपी कचरे का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में एसयूपी के इस्तेमाल पर बैन तो लग गया है लेकिन यह बैन केवल 19 सिंगल यूज प्लास्टिक वाले चीजों पर ही लगा है।
जिन चीजों को बैन किया गया है उसमें प्लास्टिक ईयरबड, गुब्बारे के स्टिक, चॉकलेट की छड़ी जैसे सामान्य उत्पाद शामिल हैं। इसके आलावा चम्मच, तिनके और प्लेट को भी बैन किया गया है। ऐसे में भारत में कई अन्य प्रकार के एसयूपी अभी भी इस्तेमाल में हैं।
इन राज्यों ने उठाया है यह कदम
प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए भारत के राज्यों ने भी अहम कदम उठाए हैं। मध्य प्रदेश में डिस्पोजेबल प्लास्टिक के बर्तनों को बदलने के लिए “बर्तन भंडार” नामक कुछ पहल भी शुरू किया गया है। यही नहीं दिल्ली के बाजारों में “विकल्प स्टोर” नामक कुछ ऐसी जगहें भी हैं जहां पर पर्यावरण-अनुकूल विकल्प बेचे जाते हैं।
तमिलनाडु में “मीनदुम मंजप्पाई” नामक एक पहल भी शुरू किया गया है जिसमें प्लास्टिक के यूज को कम करने और वेंडिंग मशीनों के जरिए कपड़े के थैलों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है। यूपी में भी प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाए गए हैं।
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प्लास्टिक इस्तेमाल के नुकसान
भारत में प्लास्टिक इस्तेमाल के कई तरह के नुकसान हैं। प्लास्टिक से केवल मनुष्य नहीं बल्कि पहाड़, नदी और जानवार भी प्रभावित होते हैं। प्लास्टिक के छोटे रूप माइक्रोप्लास्टिक के कारण लोगों को कई तरह की हेल्थ समस्या होती है।
खाने और पीने वाले चीजों में जिस तरह से माइक्रोप्लास्टिक मौजूद होता है उससे लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं, प्रजनन हानि और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां होती है।
इन क्षेत्रों ने बैन किया है एसयूपी
पूरी दुनिया में भारत, केन्या, चिली, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे कुछ क्षेत्र और देश ऐसे हैं जिन्होंने अपने यहां सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन कर रखा है।