NASA Axiom4 Mission : भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बार फिर इतिहास रच दिया। नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च मिशन एक्सिओम के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल की डॉकिंग पूरी हो गई है। ड्रैगन यान अपने तय समय से 20 मिनट पहले डॉक हुआ।
करीब 26 घंटे का सफर पूरा कर ड्रैगन यान आईएसएस से जुड़ गया। 418 किलोमीटर ऊंचाई पर 28000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से यह यान धरती का चक्कर लगा रहा है। एक्सियम मिशन सफलतापूर्वक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर डॉक किया गया। भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इस मिशन का संचालन किया।
WATCH | #Axiom4Mission successfully docks at the International Space Station. The Mission has been piloted by India's Group Captain #ShubhanshuShukla
— ANI (@ANI) June 26, 2025
(Video: NASA via Reuters) pic.twitter.com/B9kXGc45kA
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचे शुभांशु शुक्ला
बता दें कि लखनऊ में जन्मे शुक्ला की उड़ान फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए से सुबह 2:31 बजे ईडीटी (भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजे) पर फाल्कन 9 रॉकेट पर एक नए स्पेसएक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में लॉन्च हुई थी। ड्रैगन में एक्स-4 कमांडर पैगी व्हिटसन, पायलट शुभांशु शुक्ला और मिशन विशेषज्ञ स्लावोज उज्नान्स्की-विज्निएव्स्की और टिबोर कपू सवार हैं।
राकेश शर्मा की उड़ान के बाद अंतरिक्ष में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय
41 साल बाद भारत का एक अंतरिक्ष यात्री फिर से अंतरिक्ष में है। शुक्ला 1984 में राकेश शर्मा की उड़ान के बाद अंतरिक्ष में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय हैं। आईएसएस जाते समय अपने संदेश में शुक्ला ने कहा, "नमस्ते, मेरे प्यारे देशवासियों। क्या सफर है। 41 साल बाद हम फिर से अंतरिक्ष में हैं। यह एक शानदार अनुभव है। हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं।"
शुक्ला ने कहा, "यह केवल मेरी यात्रा नहीं है। मैं अपने साथ भारतीय तिरंगा ले जा रहा हूं। यह भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम की यात्रा है।"
शुभांशु शुक्ला अपने साथ गाजर का हलवा, मूंग दाल हलवा और आम का रस ले गए हैं, ताकि अंतरिक्ष में घर के खाने की क्रेविंग को शांत कर सकें और अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ इसे बांट सकें। एक्सिओम-4 मिशन न केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि भारत की वैश्विक तकनीकी शक्ति के रूप में उभरती स्थिति का प्रमाण है। यह देश की अंतरिक्ष नवाचार में नेतृत्व करने, स्थिरता को बढ़ावा देने और वैश्विक मिशनों में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता को दर्शाता है।