दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के लिए शिष्टाचार स्क्वैड का गठन Photograph: (IANS/Pexels)
नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस ने राजधानी में 'छेड़छाड़ विरोधी दस्तों' के गठन का निर्णय लिया है। पुलिस की तरफ से यह निर्णय यौन उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए किया गया है। पुलिस के इस आदेश के अनुसार, इसके लिए कुछ विशेष टीमों का गठन किया गया है। इन टीमों को निर्देश दिया गया है कि व्यक्तिगत या सांस्कृतिक नैतिकता थोपने के बजाय कानून लागू करने पर ध्यान केंद्रित करें।
इन टीमों का नाम शिष्टाचार स्क्वैड रखा गया है। ऐसी ही टीमों का गठन उत्तर प्रदेश में भी किया गया था। उत्तर प्रदेश में गठित की गई टीमों का नाम एंटी-रोमियो स्क्वैड रखा गया था। दिल्ली में गठित टीमों को निर्देश दिया गया है कि पीड़िताओं को सार्वजिनक जांच और शर्मिंदगी से बचाएं।
पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा के आदेश के अनुसार, दस्तों को किसी पर व्यक्तिगत या सांस्कृतिक नैतिकता थोपने की बजाय कानून लागू पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
हर जिले में होंगे दो स्क्वैड
इसके तहत प्रत्येक जिले में दो स्क्वैड होंगे जिसमें एक इंस्पेक्टर, एक सब-इंस्पेक्टर, चार महिला पुलिसकर्मियों समेत आठ कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल होंगे। सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इन स्क्वैड को सावधानी पूर्वक चुना जाए। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि चुने गए लोग संवेदनशील, सहानुभूति पूर्ण और आत्म प्रेरित हों।
इसके लिए पुलिस शहर में संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करेगी जो महिलाओं के लिए सुरक्षा के लिहाज से अनुकूल नहीं हैं।
पुलिस द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार, इस स्क्वैड को संवेदनशीवल इलाकों में नियमित रूप से घूमना चाहिए। इसके साथ ही रोजाना कम से कम दो संवेदनशील इलाकों में अभियान चलाना चाहिए।
सादे कपड़ों में तैनात होंगी महिला पुलिसकर्मी
इन स्थानों पर महिला पुलिसकर्मियों को सादे कपड़ों में तैनात किया जाएगा जिससे अपराधियों की पहचान कर उन्हें रोका जा सके। इसके लिए प्रत्येक टीम में चार पहिया और दो पहिया वाहन होंगे जिससे त्वरित कार्रवाई की जा सके।
इस स्क्वैड के सदस्य सार्वजनिक परिवहनों की भी जांच करेंगे। इसके साथ ही पीड़ितों को शिकायत करने के लिए प्रेरित करेंगे और संवेदनशील इलाकों की पहचान के लिए स्वयंसेवकों, आवासीय संघों व नागरिक समूहों के साथ मिलकर काम करेंगे।
इन दस्तों को साप्ताहिक रूप से रिपोर्ट भी पेश करनी होगी। ये रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को पेश करनी करनी होगी जिसकी निगरानी सहायक पुलिस आयुक्त करेंगे।