शिमलाः शिमला नगर निगम के आयुक्त की अदालत ने शनिवार संजौली मस्जिद की तीन अनधिकृत मंजिलों को गिराने का आदेश दिया। नगर निगम के आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने कहा है कि मस्जिद के विवादित फ्लोर को हटाने का काम वक्फ बोर्ड की देखरेख में होगा।

वक्फ बोर्ड के वकील बीएस ठाकुर ने इस मामले में जानकारी देते हुए कहा, "अदालत ने मस्जिद समिति और वक्फ बोर्ड को निर्देश दिया है कि वे अपने खर्चे पर मस्जिद की ऊपर की तीन मंजिलों को गिराएं। इसके लिए उन्हें दो महीने का समय दिया गया है।"

बीएस ठाकुर ने आगे बताया कि भविष्य में बाकी इमारत के हिस्से के बारे में निर्णय लिया जाएगा। अगली सुनवाई की तारीख 21 दिसंबर निर्धारित की गई है। मस्जिद समिति ने आगे आकर इन तीन मंजिलों को गिराने की पेशकश की थी।

विवाद का मुख्य कारण

यह विवाद मस्जिद के निर्माण को लेकर है, जो पहले एक मंजिला थी। लेकिन बिना उचित अनुमति के इसे पांच मंजिला तक बढ़ा दिया गया। वक्फ बोर्ड ने इस भूमि पर अपना स्वामित्व होने का दावा किया है, जबकि स्थानीय निवासी इसे राज्य राजस्व विभाग की संपत्ति बताते हुए मस्जिद के विस्तार पर आपत्ति जताया है। उनके अनुसार, इस विस्तार से उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

संजौली लोकल रेजिडेंट (हिंदू संगठन) के एडवोकेट ने बताया कि आज मजबूरी में 14 साल बाद यहां के आम लोगों को इस मामले में पार्टी बनना पड़ा है। किसी आदमी ने इस जमीन पर गैरकानूनी तरह से निर्माण कर लिया गया था। जिसके बाद साढ़े तेरह सालों तक वक्फ बोर्ड गायब रहा।"

इस मुद्दे को लेकर स्थानीय हिंदू समूहों ने मस्जिद को गिराने की मांग करते हुए शिमला और मंडी में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। वे इसे साम्प्रदायिक मुद्दा नहीं, बल्कि अवैध निर्माण का मामला मानते हैं। प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई थी। पुलिस ने बाद में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार का इस्तेमाल किया था।

विवाद के बीच ही मस्जिद हटाने को लेकर मस्जिद कमेटी ने नगर निगम को ज्ञापन सौंपा था। मस्जिद कमेटी ने अपने पत्र में लिखा, “प्रशासन की जांच में मस्जिद का निर्माण अवैध बताया गया है। मस्जिद कमेटी खुद इस विवादित हिस्से को ध्वस्त करना चाहती है।”

मस्जिद समिति का बयान

अदालत के आदेश के बाद, मस्जिद समिति के अध्यक्ष लतीफ नेगी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "हम अदालत के आदेश का सम्मान करते हैं। हमने पहले ही लिखित रूप में कहा था कि हम अनधिकृत मंजिलों को गिराने के लिए तैयार हैं। ये पूछे जाने पर कि क्या अदालत के फैसले के खिलाफ वे हाईकोर्ट जाएंगे, लतीफ नेगी ने कहा कि अब हम अदालत नहीं जाएंगे। हमने तो खुद ही 12 सितंबर को इसे गिराने को लेकर अदालत में लिखित आवेदन दिया था।

हिंदू संगठनों के विरोध को लेकर नेगी ने आगे कहा कि हमने तो हिंदू भाइयों से पहले ही कहा था कि यह कानूनी मसला है। इसमें कुछ वक्त लग सकता है। नेगी ने यह भी कहा कि अगर मेरी बातों से किसी को ठेस पहुंची होगी, तो मैं खेद व्यक्त करता हूं।