नई दिल्ली: कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी दो दिवसीय यात्रा पर भारत आए हैं। यह उनकी मार्च 2015 के बाद भारत की दूसरी यात्रा है और वह पीएम नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर आए हैं। उनके साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है, जिसमें मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी और व्यापारिक प्रतिनिधि शामिल हैं। पीएम मोदी प्रोटोकॉल तोड़ते हुए खुद एयरपोर्ट पहुंचे और गले लगाकर शेख तमीम का स्वागत किया। अब ऐसे में सवाल यह है कि एक छोटा सा देश आखिर भारत के लिए इतना अहम क्यों हैं। ऐसे क्या कारण हैं जिसकी वजह से भारत कतर के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है। कतर की आबादी मात्र 29 लाख है। यहां 8 लाख से अधिक  तो भारतीय ही मौजूद हैं। कतर भले ही एक छोटा देश है लेकिन भारत की ऊर्जा जरूरतें पूरी करने में इस देश का अहम रोल है।

भारत और कतर के रिश्ते 

भारत और कतर के बीच मैत्री, विश्वास और पारस्परिक सम्मान के गहरे ऐतिहासिक संबंध हैं। हाल के सालों में दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, संस्कृति और लोगों के बीच संबंध लगातार मजबूत हुए हैं। यहां नोट करने वाली बात यह है कि भारत और कतर के संबंध पीएम मोदी के कार्यकाल में और मजबूत हुए हैं। साल 2017 से 2021 तक कतर सऊदी अरब की ओर से लगाई गई पाबंदियों से जूझ रहा था। लेकिन भारत सरकार ने उसके साथ आर्थिक संबंध बढ़ाए। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल 13-15 फरवरी को संयुक्त अरब अमिरात (यूएई) और कतर का दौरा किया था। यह यह बताने के लिए काफी था कि खाड़ी के देश भारत के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। मोदी सरकार की विदेश नीति और सुरक्षा रणनीति में खाड़ी के देशों का महत्वपूर्ण स्थान है। 

कतर-भारत के व्यापारिक रिश्ते

भारत सबसे अधिक तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) कतर से लेता है। यह भारत के कुल आयात का करीब 40 फीसदी है। दोनों देशों के बीच दोतरफा व्यापार करीब 20 अरब डॉलर का है। इसमें कतर को सबसे अधिक फायदा होता है। साल 2023-2024 में दोनों देशों के बीच 14.08 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। इसमें भारत ने कतर को 1.7 अरब डॉलर का निर्यात किया था। वहीं भारत ने कतर से 12।38 अरब डॉलर का आयात किया था। भारत कतर से एलएनजी के अलावा रसोई गैस, रसायन, फर्टिलाइजर और प्लास्टिक का आयात करता है।

पिछले कुछ सालों में भारत से कतर का निर्यात भी बढ़ा है।भारत कतर को अनाज, सब्जियां, फल, मसाले, प्रासेस्ड फूड, लोहा, स्टील के सामान, निर्माण में उपयोग आने वाले उपकरण और अन्य मशीनें का निर्यात करता है। भारत में प्राकृतिक गैस की सबसे बड़ी कंपनी पेट्रोनेट ने पिछले साल फरवरी में कतर के साथ एक समझौता किया था। इसके तहत कतर 2028 से 2048 तक हर साल साढ़े सात मीलियन टन एलएनजी की आपूर्ति करेगा। 

कतर से नौसेना के पूर्व अधिकारियों की रिहाई

अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी जब भारतीय नेतृत्व से बात करेंगे तो व्यापार और ऊर्जा सहयोग उनके एजेंडे में सबसे ऊपर होगा। कतर के अमीर का भारत दौरा फरवरी 2024 की उस घटना के बाद हो रहा है, जिसमें वहां के जेलों में बंद आठ भारतीयों की सजा को माफ कर रिहा कर दिया दगा था। ये भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी थे। इन पूर्व अधिकारियों को अगस्त 2022 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कतर की अदालत ने इन लोगों को 2023 में फांसी की सजा सुनाई थी। इन लोगों को कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी के आदेश पर रिहा किया गया था। इसके बाद से पीएम मोदी ने कतर की यात्रा की थी।

भारत और कतर के बीच सुरक्षा

भारत और कतर के बीच समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग और रक्षा क्षेत्र में साझेदारी बढ़ रही है। भारतीय नौसेना और कतर की नौसेना के बीच संयुक्त अभ्यास होते रहे हैं। समय के साथ रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों ने अहम प्रगति की है। कतर में करीब 8 लाख से अधिक भारतीय प्रवासी कार्यरत हैं जो देश की कुल जनसंख्या का लगभग 25 फीसदी हैं। भारतीय श्रमिक कतर के बुनियादी ढांचे, निर्माण स्वास्थ्य और सेवा क्षेत्रों में प्रमुख योगदान दे रहे हैं। भारतीय प्रवासियों ने कतर की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका है। इतना ही नहीं भारत और कतर के बीच उच्च स्तरीय राजनयिक यात्रा होती रही हैं। दोनों देशों के नेताओं ने कई महत्वपूर्ण समझौते किए हैं, जिनमें रक्षा, आतंकवाद-रोधी सहयोग और व्यापार शामिल हैं।