छात्र आंदोलन को दबाने के लिए शेख हसीना दे रही थी हवा, मानवता के खिलाफ अपराध का लगा आरोप

शेख हसीना पर अभियोजकों ने आरोप लगाया है कि 2024 में हुए छात्र आंदोलनों को दबाने के लिए उन्होंने आदेश दिया था। इस आंदोलन के बाद उन्हें अगस्त 2024 में देश छोड़कर भारत आना पड़ा था।

Sheikh Hasina

Sheikh Hasina Photograph: (आईएएनएस)

नई दिल्लीः बांग्लादेश के अभियोजकों ने रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर 2024 के छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह के दौरान हिंसक कार्रवाई में उनकी कथित भूमिका के लिए मानवता अपराध का आरोप लगाया। इसके बाद अवामी लीग की नेता को इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़ना पड़ा। 

एक जांच रिपोर्ट में यह पता चला है कि हसीना ने राज्य की सुरक्षा बलों, उनकी राजनैतिक पार्टी और उससे जुड़े समूहों को अभियान चलाने का सीधे आदेश दिया। इसमें लोग बड़े पैमाने पर हताहत हुए। 

हत्याएं योजनाबद्ध थींः अभियोजक

समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश के घरेलू अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने विभिन्न एजेंसियों का हवाला देते हुए कहा "ये हत्याएं योजनाबद्ध थीं।"

अल जजीरा ने मुख्य अभियोक्ता के हवाले से लिखा "सबूतों की जांच करने पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह एक समन्वित, व्यापक और व्यवस्थित हमला था। आरोपी ने विद्रोह को कुचलने के लिए सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अपने सशस्त्र दल के सदस्यों को तैनात कर दिया।"

अभियोजकों ने आगे आरोप लगाते हुए कहा सरकार की प्रमुख के रूप में हसीना ने अशांति के दौरान सुरक्षा बलों की कार्रवाई की कमान संभाली थी।  

अवामी लीग की गतिविधियों पर लगाई रोक

हसीना के खिलाफ अभियोजकों ने ऐसे समय में आरोप लगाए हैं जब मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार अवामी लीग की सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी है। यह कार्रवाई आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है। 

यूनुस सरकार द्वारा यह कार्रवाई तमाम दबावों ओर देश में जल्द ही चुनाव कराने की व्यापक मांग के बीच आया है। 

इससे पहले साल 2024 में सरकारी नौकरी में कोटा को तत्काल खत्म करने को लेकर बड़े पैमाने पर छात्रों ने आंदोलन चलाया था। यह आंदोलन ऐसे व्यापक स्तर पर फैला कि पीएम शेख हसीना को पांच अगस्त को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था और वह भारत आ गईं थीं। 

यूनाइटेड नेशन्स के आंकड़ों के मुताबिक, इस आंदोलन में करीब 1400 बांग्लादेशी नागरिकों ने जान गंवाई थी। इस आंदोलन को बांग्लादेशी नेशनलिस्ट पार्टी और उससे जुड़े समूहों ने समर्थन दिया था।

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