नई दिल्ली: शेख हसीना को छात्र आंदोलन की आड़ में अचानक सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद बांग्लादेश की स्थिरता को लेकर सवाल उठने लगे हैं। बांग्लादेश में मची उथल-पुथल ने भारत के लिए भी चिंता पैदा कर दी है। भारत के पड़ोसी देशों मसलन पाकिस्तान और श्रीलंका पहले से ही आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं। दोनों ही जगहों पर अराजक स्थिति देखने को मिल चुकी है। ऐसे में भारत के लिए बांग्लादेश एक स्थिर पड़ोसी था, लेकिन अब वहां भी हालात बिगड़ चुके हैं। जाहिर है भारत की चिंता बढ़ गई है।
अहम बात ये भी है कि साल 2009 में शेख हसीना के सत्ता में आने के बाद से बांग्लादेश भारत का एक प्रमुख सहयोगी रहा है। बांग्लादेश में कुछ जगहों से संचालित होने वाले भारत विरोधी आतंकवादी समूहों को खत्म करने से लेकर आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को बेहतर बनाने तक सब कुछ शेख हसीना के कार्यकाल में हुआ। कुल मिलाकर दोनों देशों के बीच एक अच्छे रिश्ते को बढ़ावा मिला।
हालांकि, अब शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होते ही ढाका और नई दिल्ली के रिश्ते पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। जानकार मानते हैं कि आने वाले दिनों में इसका असर बढ़ते व्यापार संबंधों पर दिखेगा। लोगों और सामानों की आवाजाही पर प्रतिबंध लग सकता है और दोनों देशों के बीच संभावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में रुकावट आ सकती है।
भारत-बांग्लादेश के बीच रहा है मजबूत व्यापारिक रिश्ता
भारतीय उपमहाद्वीप में बांग्लादेश व्यापार के मामले में भारत का सबसे बड़ा भागीदार है। वहीं, भारत चीन के बाद एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा भागीदार है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में दोनों देशों का कुल द्विपक्षीय व्यापार 13 बिलियन डॉलर का था।
यही नहीं, भारत अपने यहां से कपास की सबसे बड़ी मात्रा बांग्लादेश ही भेजता है। आंकड़ों के अनुसार भारत के कुल कपास निर्यात का 34.9% (वित्त वर्ष 2024 में लगभग $2.4 बिलियन) है। भारत से बांग्लादेश के लिए अन्य प्रमुख निर्यात पेट्रोलियम उत्पाद और अनाज भी हैं। वहीं, बांग्लादेश से भारत में आने वाले शीर्ष आयात में रेडीमेड कपड़े शामिल है। वित्त वर्ष 2024 में 391 मिलियन डॉलर का आयात हुआ। हाल के वर्षों में बांग्लादेश कपड़ों के लिए एक प्रमुख वैश्विक केंद्र के रूप में भी उभरा है।
बांग्लादेश-भारत के बीच एफटीए संकट
पिछले साल अक्टूबर 2023 में भारत और बांग्लादेश ने ढाका में व्यापार पर ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप की बैठक के दौरान एफटीए पर चर्चा शुरू की। एफटीए का असर ये होता कि भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार किए जाने वाले सामानों पर सीमा शुल्क कम होंगे या फिर कुछ पर समाप्त भी हो सकते हैं। साथ ही इस योजना में दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए नियमों को और आसान बनाया जाना शामिल था।
विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित 2012 के वर्किंग पेपर में अनुमान लगाया गया था कि सामानों के लिए पूर्ण एफटीए लागू होने से भारत में बांग्लादेश के निर्यात में 182% की वृद्धि होगी। वहीं, आंशिक एफटीए से 134% की वृद्धि हो सकती है। यही नहीं, बेहतर परिवहन बुनियादी ढांचे और अच्छी कनेक्टिविटी के साथ एफटीए बांग्लादेश के निर्यात को 297% तक बढ़ा सकता है। भारत को भी फायदा होता। एफटीए से भारत को भी अपने निर्यात में 172% तक की वृद्धि देखने को मिल सकती है। बहरहाल, मौजूदा स्थिति के बाद यह स्पष्ट नहीं है कि नई अंतरिम बांग्लादेशी सरकार के आने के बाद एफटीए योजना किस दिशा में आगे बढ़ेगी।
इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी
भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्तों में बेहतर कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे में सुधार भी एक अहम हिस्सा रहा है। भारत ने 2016 से बांग्लादेश को सड़क, रेल, शिपिंग और बंदरगाह आदि में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए करीब 8 बिलियन डॉलर के ऋण मुहैया कराए हैं। साथ ही पिछले साल यानी नवंबर 2023 में दो संयुक्त परियोजनाओं – अखौरा-अगरतला क्रॉस बॉर्डर रेल लिंक और खुलना-मोंगला पोर्ट रेल लाइन का उद्घाटन भी किया गया।
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अखौरा-अगरतला रेल लिंक भारत और बांग्लादेश के बीच छठी क्रॉस बॉर्डर रेल लाइन है। साथ ही यह रेल लाइन भारत की मुख्य भूमि से उसके पूर्वोत्तर क्षेत्र को जोड़ने का एक वैकल्पिक मार्ग भी बन गया। इस रेल मार्ग की वजह से अगरतला और कोलकाता के बीच ट्रेन से यात्रा के समय में बड़ी कमी आई है और यह 31 घंटे से घटकर 10 घंटे का हो गया है। साथ ही इससे दोनों देशों के बीच पर्यटन, व्यापार और आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
ऐसे में अगर भारत-बांग्लादेश के बीच रिश्ते अगर ताजा हालात और नई सरकार के आने से प्रभावित होते हैं, तो पूर्वोत्तर राज्यों तक भारत की पहुंच फिर से एक ही 22 किमी संकीर्ण ‘चिकन नेक’ मार्ग पर निर्भर रह जाएगी।
बात बस रेल भर की नहीं है। यहां ये भी गौर करना होगा कि वर्तमान में भारत और बांग्लादेश के बीच पांच बस मार्ग भी खुले हुए हैं। इनमें कोलकाता, अगरतला और गुवाहाटी से ढाका तक के लिए बस सेवा शामिल है। साल 2023 में दोनों देश भारत के मेनलैंड और पूर्वोत्तर के बीच कार्गो की आवाजाही को आसान बनाने के लिए चटगांव और मोंगला बंदरगाहों के उपयोग के लिए समझौते को जमीन पर उतारने पर भी सहमत हुए थे।