नई दिल्लीः पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को वैश्विक मंचों पर मजबूती से रखने के लिए सरकार ने सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों का गठन किया है। इन प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य दुनिया को यह संदेश देना है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' की नीति पर चलता है। इन्हीं में से एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कांग्रेस सांसद शशि थरूर करेंगे।
सरकार के इस कदम के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर से ही मतभेद सामने आ गए हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस चयन को "ईमानदारी के खिलाफ" बताया और सरकार पर आरोप लगाया कि उसने कांग्रेस द्वारा सुझाए गए नामों की अनदेखी की है। उन्होंने कहा, “हमसे चार नाम मांगे गए थे, हमने समय पर भेजे, लेकिन सरकार ने अपनी प्रेस रिलीज़ में दूसरा नाम घोषित कर दिया। यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही।”
यह पार्टी नहीं, देश की बात हैः थरूर
इस विवाद के बीच, शशि थरूर ने साफ किया कि वह इस जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा से निभाएंगे। उन्होंने कहा, “मेरी पार्टी मेरे बारे में जो भी राय रखे, वह उनका अधिकार है। लेकिन मैंने अपने जीवन में हर जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाया है- चाहे वह संयुक्त राष्ट्र में हो या कांग्रेस पार्टी में। जब देश को हमारी ज़रूरत हो, तो यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम सेवा करें।”
थरूर ने कहा कि उन्होंने सरकार से यह प्रस्ताव मिलने के बाद कांग्रेस पार्टी को इसकी जानकारी दी थी और यह उम्मीद जताई थी कि सरकार विपक्षी दलों के नेतृत्व से भी संवाद करेगी। उन्होंने कहा, “यह राष्ट्रीय एकता का समय है और हम सभी को एकजुट होकर भारत की बात दुनिया के सामने रखनी चाहिए।”
कांग्रेस ने क्या कहा?
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अप्रत्यक्ष रूप से थरूर की आलोचना करते हुए कहा, “कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना, दो अलग बातें हैं। अगर कोई सांसद किसी आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनता है, तो उसे पार्टी की अनुमति लेनी चाहिए। पार्टी एक गंगा है, इसमें कई धाराएँ हैं—कुछ सूख जाती हैं, कुछ प्रदूषित हो जाती हैं।”
गौरतलब है कि कांग्रेस ने पूर्व मंत्री आनंद शर्मा, डिप्टी लीडर गौरव गोगोई, और सांसद डॉ. सैयद नसीर हुसैन व राजा बरार के नाम भेजे थे, जिन्हें सरकार ने दरकिनार कर दिया। इसको लेकर राहुल गांधी ने भी कथित तौर पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू से अपनी नाराजगी जताई।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। इसके तहत पाकिस्तान और पीओजेके में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए, जिनमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। इसके बाद भारत ने यह कूटनीतिक पहल शुरू की, ताकि दुनिया को बताया जा सके कि भारत सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि राजनयिक स्तर पर भी आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है।
सरकार द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों कौन-कौन?
सरकार ने कांग्रेस के शशि थरूर के अलावा भाजपा के रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, जदयू के संजय झा, डीएमके की कनिमोझी, एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले और शिवसेना (शिंदे गुट) के श्रीकांत शिंदे को भी अन्य प्रतिनिधिमंडलों की जिम्मेदारी सौंपी है।