भारत में सड़कों पर गड्ढों के कारण हर साल हजारों लोगों की मौत होती है। कई वाहन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं जिससे काफी आर्थिक नुकसान होता है। इन्हीं चीजों से मुक्ति पाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) सड़कों के रखरखाव में एक नई तकनीक के इस्तेमाल की योजना बना रहा है।
इस तकनीक से सड़कों पर होने वाले गड्ढे खुद ब खुद रिपेयर हो जाएंगे। इस तकनीक में नए प्रकार के सेल्फ हीलिंग एस्फाल्ट (डामर) का इस्तेमाल होगा जिसकी मदद से सड़कें खुद ही रिपेयर हो सकेंगी। माना जा रहा है कि इस तकनीक की वजह से गड्ढों की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है जो भारत में कई सड़क हादसों के लिए जिम्मेदार होती हैं।
टीओआई ने अपनी रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी (अज्ञात) के हवाले से लिखा है, हम टिकाऊपन बढ़ाने और गड्ढों की समस्या को दूर करने के लिए अनूठे और अपरंपरागत तरीकों पर विचार कर रहे हैं। इस तकनीक को लागू करने से पहले सरकार इस बात जांच कर रही है कि यह कितना व्यावहारिक और प्रभावी होगा। साथ ही इसमें कितनी लागत आएगी और इसका लाभ कितना होगा।
अधिकारी ने कहा कि डामर के ‘सेल्फ हीलिंग’ गुण से गड्ढों की समस्या खत्म हो जाएगी। इससे सड़कों का जीवनकाल बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि यह सड़क रखरखाव की आवश्यकता को लगभग समाप्त कर सकता है। साथ ही यातायात व्यवधान को भी कम कर सकता है। एनएचएआई के अधिकारी ने कहा कि इस तकनीक का इस्तेमाल गड्ढों की बार-बार होने वाली समस्या को कम करने में निर्णायक साबित होगा। जो सड़क दुर्घटनाओं और मृत्यु का कारण बनते हैं। हालांकि प्राधिकरण इसकी व्यावहारिकता और प्रभावशीलता की जांच कर रहा है।
कैसे काम करता है यह तकनीक?
डामर बजरी और रेत का एक मिश्रण होता है जिसे बिटुमेन (एक काला गाढ़ा और चिपचिपा पदार्थ) आपस में जोड़े रखता है। जैसे-जैसे सड़कें पुरानी होती जाती हैं, बिटुमेन घिस जाता है और डामर के टुकड़े नष्ट हो जाते हैं। इसकी वजह से छोटी दरारें बन जाती हैं जो जल्द ही बड़े गड्ढों में बदल जाती हैं। एस्फाल्ट में बिटुमेन (काले रंग का चिपचिपा पदार्थ) व स्टील वूल के छोटे-छोटे टुकड़े होंगे। यह बिटुमेन को चालक बना देता है, जिससे उसे एक इंडक्शन मशीन के जरिए गर्म किया जा सकता है। गर्म करने की प्रक्रिया बिटुमेन को डामर में मौजूद पत्थरों और बजरी के साथ फिर से जोड़ने में सक्षम बनाती है, जिससे दरारें भर जाती हैं।
डामर का उपयोग कहाँ-कहाँ होता है?
डामर सड़क निर्माण के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका उपयोग हाईवेज, हवाईअड्डों के रनवे, पार्किंग स्थलों और ड्राइववे के निर्माण में प्रमुखता से किया जाता है। गिट्टी, बाइंडर और फिलर के मिश्रण का उपयोग करते हुए, डामर मजबूत सड़क नेटवर्क को बनाए रखने के लिए आवश्यक स्थायित्व और विश्वसनीयता प्रदान करता है।
गड्ढों के कारण हर साल होते हैं हादसे
भारत में सड़कों पर गड्ढों के कारण हर साल हादसे होते हैं और हजारों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2018 से 2020 के बीच गड्ढों के कारण हुए सड़क हादसों में 5,626 लोगों की मौत हुई। 2018 में 2,015 लोगों की मौत हुई। जबकि 2019 और 2020 में क्रमशः 2,140 और 1,471 ने जान गंवा दी। वहीं टीओआई के मुताबिक, गड्ढों के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं की संख्या 2022 में 4,446 हो गई। जिसमेंं कुल 1,856 लोगों की जान गई। गौरतलब बात है कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 2024-25 के बजट में सड़क रखरखाव के लिए ₹2,600 करोड़ आवंटित किए हैं। वहीं 2022-23 में इसपर 2,573 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।