SEBI Madhabi Puri Buch Photograph: (bole bharat desk)
मुंबईः मुंबई की एक विशेष अदालत ने सेबी की पूर्व प्रमुख माधवी पुरी बुच और पांच अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर का आदेश दिया है। अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को इन लोगों के खिलाफ कथित स्टॉक धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघनों के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।
अदालत ने यह भी कहा है कि वह जांच की निगरानी करेगी और 30 दिनों के भीतर स्थिति रिपोर्ट मांगी है।
शिकायतकर्ता ने आरोपियों द्वारा किए गए कथित अपराधों की जांच की मांग की थी जिसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, नियामक उल्लंघन और भ्रष्टाचार शामिल थे।
आरोप सेबी अधिनियम-1992 और उसके तहत नियमों और विनियमों के अनुपालन के बिना, नियामक अधिकारियों, विशेष रूप से सेबी की सक्रिय मिलीभगत से स्टॉक एक्सचेंज पर एक कंपनी की धोखाधड़ी वाली लिस्टिंग से संबंधित हैं।
अदालत ने क्या कहा?
अदालत ने कहा कि आरोप संज्ञेय अपराध का खुलासा करते हैं। ऐसे में इसके लिए जांच की आवश्यकता है। इसमें कहा गया है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सेबी की निष्क्रियता के कारण सीआरपीसी के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि सेबी अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्य में विफल रहे, बाजार में हेरफेर की सुविधा दी और निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी की लिस्टिंग की अनुमति देकर कॉर्पोरेट धोखाधड़ी को सक्षम बनाया।
शिकायतकर्ता ने कहा कि कई बार संबंधित पुलिस स्टेशन और नियामक निकायों से संपर्क करने के बावजूद, उनके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
अदालत ने रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री पर विचार करने के बाद, एसीबी वर्ली, मुंबई क्षेत्र को आईपीसी, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सेबी अधिनियम और अन्य लागू कानूनों के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया।
भारत की पहली महिला सेबी प्रमुख बुच, जिन्हें अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग द्वारा हितों के टकराव के आरोपों का सामना करना पड़ा और उसके बाद राजनीतिक गर्मी भी झेलनी पड़ी थी।