सिक्किमः हिमालयी राज्य सिक्किम के विधानसभा चुनाव में सिक्किम डेमोक्रिटिक फ्रंट (SDF) को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है। राज्य की 32 विधानसभा सीटों में से 31 पर उसे हार का मुंह देखना पड़ा। रविवार 2 जून को आए विधानसभा 2024 के नतीजों में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) ने प्रचंड जीत दर्ज की। उसने 31 सीटों पर कब्जा किया जबकि एक पर एसडीएफ के तेनजिंद नोरबू लाम्था ने जीत दर्ज की है।
गौरतलब बात है कि लाम्था एसकेएम पार्टी के नेता थे जिन्हें विधानसभा में टिकट नहीं मिलने पर चुनाव से पहले एसडीएफ में शामिल हो गए थे। हैरानी की बात है कि खुद एसडीएफ के प्रमुख और पांच बार के मुख्यमंत्री रहे पवन कुमार चामलिंग भी दो सीटों से चुनाव हार गए और ऐसा 40 साल के इतिहास में पहली बार हुआ। आखिर एसडीएफ के विधानसभा चुनाव में इतनी शर्मनाक हार की क्या वजह रही है क्योंकि यह वही पार्टी है जिसने राज्य में 25 सालों तक शासन किया है।
2019 का चुनाव निर्णायक मोड़ साबित हुआ
माना जाता है कि एसडीएफ के पतन की कहानी 2019 के चुनाव के बाद से ही शुरू हो गई थी। इस चुनाव में मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग की पार्टी एसकेएम ने 32 में से 17 सीटें जीतकर उसे 25 साल के सत्ता से बेदखल कर दिया। एसडीएफ के हिस्से सिर्फ 15 सीटें आई थीं। इसके बाद पार्टी को तगड़ा झटका तब लगा जब उसके 10 विधायक भाजपा में शामिल हो गए और 2 ने एसकेएम का दामन थाम लिया। इस घटना के बाद पार्टी बुरी तरह टूट गई। उसके कई नेता और समर्थक एसकेएम के पाले में चले गए। पार्टी को मजबूत करने के लिए पवन कुमार चामलिंग ने पूर्व भारतीय फुटबॉल कप्तान बाइचुंग भाटिया को एसडीएफ में शामिल कराया लेकिन इससे भी कुछ बात नहीं बनती दिखी।
1982 में यांगंग ग्राम पंचायत के अध्यक्ष से सिक्किम की राजनीति में प्रवेश करने वाले नेता पवन कुमार चामलिंग ने 2019 तक अपनी पार्टी को पांच बार सत्ता में लाया। उन्हें नर बहादुर भंडारी के नेतृत्व वाली सिक्किम संग्राम परिषद (एसएसपी) के टिकट पर दक्षिण सिक्किम के अपने गृह जिले दमथांग से अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता। 1989 में यहां से वे दूसरी बार जीत दर्ज की जिसके बाद उन्हें उद्योग, सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री बनाया गया।
1993 में अस्तित्व में आई थी एसडीएफ
नार बहादुर भंडारी से मनमुटाव होने और 1992 में सिक्किम संग्राम परिषद से बर्खास्त होने के बाद चामलिंग 1993 में अपनी पार्टी एसडीएफ की स्थापना की। इसने 1994 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की। सभी एसएसपी विधायक बाद के दिनों में भंडारी को छोड़कर एसडीएफ में शामिल हो गए। इसके बाद, एसडीएफ ने सिक्किम में 25 वर्षों तक शासन किया। गौरतलब है कि 2004 के चुनाव में एसडीएफ ने भी 32 में से 31 सीटों पर जीत हासिल की थी।
एसडीएफ के उदय का मुख्य कारण सिक्किम की जनता में नार बहादुर भंडारी के शासन के खिलाफ उत्पन्न असंतोष था। चामलिंग और उनकी पार्टी ने इस असंतोष को भुनाया और खुद को एक बेहतर विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया। उनकी नीतियों और विकास कार्यक्रमों ने राज्य की जनता का विश्वास जीत लिया, जिससे एसडीएफ लगातार चुनावों में जीतती रही। हालांकि, 2019 में पार्टी को एसकेएम से कड़ी चुनौती मिली और अंततः सत्ता से बाहर हो गई। और 2024 के चुनाव में पूरी तरह से खत्म हो गई।
एसडीएफ के वोट शेयर में भारी गिरावट
बीते पांच सालों में एसडीएफ के वोट शेयर में भारी गिरावट भी आई है। 2019 में एसकेएम और एसडीएफ के वोट शेयर में केवल 0.6 प्रतिशत का अंतर था। इस साल यह अंतर बढ़कर 31.01 प्रतिशत हो गया, जिसमें एसकेएम को 58.38% और एसडीएफ को 27.37% वोट मिले। एसकेएम ने 2014 में पहली बार चुनाव लड़ा था, जिसमें उसे लगभग 41% वोट मिले थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 0.32% वोट मिले। 2009 के बाद कांग्रेस का वोट शेयर 27.64% से गिरकर 2019 में 1% से भी कम रह गया। पार्टी ने 2004 के बाद से कोई सीट नहीं जीती है। 2004 में उसने एक सीट जीती थी। दूसरी ओर, भाजपा ने कभी कोई सीट नहीं जीती है।
तमांग का एसडीएफ से कैसे राह अलग हुआ
जिस तरह एसएसपी से अलग होकर चामलिंग ने एसडीएफ की स्थापना की थी। उसी तमांग ने एसकेएम की नींव रखी। गौरतलब है कि तमांग एसडीएफ के संस्थापक सदस्य थे और चामलिंग के बहुत करीबी थे। उन्होंने सरकारी शिक्षक की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा था और 1994 में एसडीएफ के टिकट पर सोरेंग चाकुंग से विधानसभा चुनाव लड़ा था। वे यहां से जीत कर पहली बार विधायक बने। हालांकि साल 2013 में एसडीएफ से बगावत कर उन्होंने अपनी अलग पार्टी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) की स्थापन की। 2016 में सरकारी पैसों की हेराफेरी को लेकर जेल जाना पड़ा। 2 साल बाद वे जेल से रिहा हुए और 2019 के चुनाव में पार्टी को सत्ता पर काबिज कराया और वे मुख्यमंत्री बने।
7 हजार से अधिक वोटों से जीते हैं मुख्यमंत्री तमांग
इस बार के विधानसभा चुनाव में प्रेम सिंह तमांग रेनॉक विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में थे। उन्होंने 7 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की है। तमांग ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सोम नाथ पौड्याल को 7,044 मतों से हराया है। मुख्यमंत्री तमांग को 10,094 मत मिले जबकि सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के पौड्याल को 3,050 वोट मिले।
वहीं, एसडीएफ के प्रमुख और पांच बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे पवन कुमार चामलिंग दोनों सीट हार गये हैं। पवन कुमार राज्य की दो सीटों- नामचेबुंग और पोकलोक-कामरांग से चुनाव लड़े थे। नामचेबुंग विधानसभा सीट पर एसकेएम के राजू बसनेत ने उन्हें 2,256 मतों से मात दी। बसनेत को 7,195 और चामलिंग को 4,939 वोट मिले। पोकलोक-कामरांग सीट पर एसकेएम के भोज राज राय ने उन्हें 3,063 मतों से हराया। राय को 8,037 मत और चामलिंग को 4,974 मत मिले।