नई दिल्लीः मंगलवार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में राजद के विधायक सुनील कुमार सिंह को बड़ी राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने उनके बिहार विधान परिषद से निष्कासन को रद्द कर दिया। इसके साथ ही अदालत ने चुनाव आयोग द्वारा जारी अधिसूचना को भी रद्द कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुनील कुमार सिंह ने खुशी जाहिर की और कहा कि न्याय की जीत हुई है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल से पोस्ट किया जिसमें लिखा, सत्यमेव जयते! आखिरकार न्याय की जीत हुई!
सत्यमेव जयते! आखिरकार न्याय की जीत हुई!
— Dr. Sunil Kumar Singh (@drsunilsinghmlc) February 25, 2025
माननीय सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला
डॉक्टर सुनील कुमार सिंह बिहार विधान परिषद के सदस्य MLC बने रहेंगे pic.twitter.com/Bgce8THkwB
शीर्ष अदालत ने कहा कि जुलाई 2024 से अब तक का निष्कासन काल, निलंबन की अवधि माना जाएगा। यह फैसला न्यायमूर्ति सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनाया।
न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि "संवैधानिक न्यायालयों पर यह पूर्ण प्रतिबंध नहीं है कि वे सदन द्वारा लिए गए किसी निर्णय की समीक्षा करते समय सदस्य को दी गई सजा की अनुपातिकता की जांच न कर सकें। इस मामले में, याचिकाकर्ता को दी गई सजा अत्यधिक और अनुचित रूप से कठोर थी। इसलिए, अब तक की निष्कासन अवधि को निलंबन अवधि माना जाएगा।"
निष्कासन रद्द, लेकिन सख्त चेतावनी
पीठ ने कहा कि भले ही सिंह का व्यवहार अस्वीकार्य और अनुचित था, लेकिन सजा उसकी तुलना में अधिक मिली। इसलिए, न्यायालय ने बिहार विधान परिषद की आचार समिति की रिपोर्ट और निष्कासन से संबंधित अधिसूचना को सिर्फ सजा की प्रकृति तक सीमित रखते हुए रद्द कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने राजद विधायक की विधान परिषद सदस्यता तत्काल बहाल करने का निर्देश दिया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि निष्कासन की अवधि के दौरान उन्हें कोई वेतन या अन्य वित्तीय लाभ नहीं मिलेगा।
पीठ ने यह भी चेतावनी दी कि यदि पुनर्बहाली के बाद वे फिर से अनुशासनहीनता में लिप्त होते हैं, तो विधान परिषद की आचार समिति या अध्यक्ष उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने इस सीट पर उपचुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग द्वारा जारी अधिसूचना को भी रद्द कर दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह फैसला सिंह के आचरण को सही ठहराने के लिए नहीं है, बल्कि सजा की अनुपातिकता की समीक्षा करने के बाद लिया गया है।
क्या था पूरा मामला?
26 जुलाई 2024 को सुनील कुमार सिंह को विधान परिषद से निष्कासित कर दिया गया था। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाने वाले सुनील कुमार सिंह पर 13 फरवरी 2024 को सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नकल करने और उनके खिलाफ नारेबाजी करने का आरोप था।
आचार समिति की रिपोर्ट अगले ही दिन तत्कालीन कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह को सौंपी गई, जिसके बाद सदन में ध्वनि मत से सिंह का निष्कासन पारित कर दिया गया।
इसी दिन, राजद के एक अन्य विधायक मोहम्मद कारी सोहैब, जिन्होंने सदन में अव्यवस्था फैलाई थी, उन्हें दो दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था। आचार समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि सोहैब ने जांच के दौरान अपने व्यवहार के लिए खेद व्यक्त किया, जबकि सिंह अडिग बने रहे।